रवींद्र प्रसाद मिश्र
देहरादून। उत्तराखंड में अगले वर्ष होने वाले चुनाव से पहले बीजेपी सरकार में बड़ा फेर बदल हुआ है। विधायकों और जनता की नाराजगी को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व के फैसले के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया है। विपक्ष इसे जहां जहां बीजेपी की नाकामी के तौर पर देख रही है, वहीं सियासी समीकरण से देखा जाए तो बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत से सीएम पद से इस्तीफा दिलाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। वहीं अब इस बात की कयासबाजी तेज हो गई है कि यहां का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
सीएम की रेस में धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड की कमान किसे मिलेगी इसकी कयाजबाजी तेज हो गई है। वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो सीएम पद की रेस में बीजेपी नेता धन सिंह रावत का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। जबकि डिप्टी सीएम के तौर पर पुष्कर सिंह धामी के नाम की चर्चा है। बता दें धन सिंह रावत की आरएसएस में अच्छी पैठ है और उनकी गिनती काफी तेज तर्रार नेताओं में की जाती है।
इसे भी पढ़ें: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने दिया इस्तीफा, छलका दर्द, अहम बैठक कल
कौन हैं धन सिंह रावत
आरएसएस की पृष्ठिभूमि से ताल्लुक रखने वाले धन सिंह रावत पहली बार विधायक चुने गए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत कैबिनेट उनकी गिनती सबसे तेज तर्रार नेताओं में की जाती थी। क्योंकि सहकारिता, उच्च शिक्षा और दुग्ध विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की कमान मिलते ही उन्होंने लीक से हटकर कई फैसले किए। इसके चलते वह यहां की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरे बन गए। उन्होंने देहरादून में सात दिवसीय सहकारिता सम्मेलन का आयोजन करके अपनी धमाकेदार एंट्री दर्ज कराई।
अन्य मुख्यमंत्रियों को संदेश देने की कोशिश
फिलहाल उत्तराखंड के घटनाक्रम को विपक्ष जहां बीजेपी की नाकामी बता रहा है, वहीं विपक्ष ने एक साथ कई सियासी समीकरण को साधने की कोशिश की है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ पार्टी के कई विधायकों में असंतोष था। कुछ लोगों ने केंद्रीय नेतृत्व से उनकी शिकायत भी की थी। सियासी जानकारों की मानें तो अगले वर्ष यहां होने वाले विधानसभा चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे पर लड़ना बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता था। ऐसे में त्रिवेंद्र के इस्तीफ से जहां बीजेपी ने लोगों के असंतोष को दूर करने का प्रयास किया है, वहीं बीजेपी के अन्य मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को यह संदेश भी दिया है कि पार्टी से बड़ा चेहरा नहीं हो सकता। जनता के असंतोष को नजरंदाज नहीं किया जाएगा।
इसे भी पढ़ें: International Women’s Day: सम्मान में भी दोहरा रवैया, इनका भी हक बनता है…