लखनऊ: हमारे देश के नागरिकों का अपनी मिट्टी के प्रति लगाव और समर्पण ही इस राष्ट्र को श्रेष्ठ और उन्नत बनाता है। हमारा देश गरीबी से निकलकर आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में खड़ा है और हम सबकी जिम्मेदारी है कि 2030 तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दें। यदि हम प्रण कर लें कि सिर्फ नौकरी पर निर्भर न रहकर हम स्वरोजगार की संभावनाओं को बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से कार्य करेंगे तो कई समस्याओं का हल हो सकता है। उक्त उद्गार मुख्य वक्ता उद्यमी, लेखक संजय शेरपुरिया ने आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के आठवें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र ने आजादी के अमृत महोत्सव के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है, जिसकी धरती पर जन्म लेने वाले मातृभूमि को समर्पित युवक व युवतियों से आज की युवा पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए और भारत को आगे ले जाने के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के लिए लगभग 90 वर्षों तक चले संग्राम के बलिदानियों के बलिदान को समझते हुए आजादी अक्षुण्य बनी रहे, इसके लिए संकल्प लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी में राष्ट्र-राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने, साहसी और स्वाभिमानी बनाने की है।
मुख्य वक्ता संजय शेरपुरिया ने कहा कि हमारा देश एक युवा देश है। करीब 65 करोड़ युवा नागरिकों के कंधों पर देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाने की एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। स्कूलों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प ने लिया है, इसके लिए हम सभी को आगे बढ़कर काम करना होगा। हम अपने क्षेत्र में अच्छा करें और देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दें, जो राष्ट्रहित में सबसे बड़ा कार्य होगा।
विशिष्ट वक्ता कैप्टन राघवेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि आप सभी को अपने गौरवशाली इतिहास और शहीदों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिससे आप भविष्य में अपने मार्ग को प्रशस्त करते हुए देश और समाज के प्रति दायित्वों का निर्वाह कर सकें। उन्होंने कहा कि हमारी सेना साहस, अनुशासन और नेतृत्व सिखाती है, जिससे सैनिक अपने दायित्वों को ही श्रेष्ठ समझता है और अपने देश के लिए बलिदान को हमेशा तैयार रहता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी हमें अपनी परम्परा, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
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कार्यक्रम की प्रस्ताविकी विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे ने रखी। विशिष्ट वक्ता दर्शनशास्त्री प्रो. राकेश चंद्रा, मुख्य अतिथि अमर बलिदानी लेफ्टीनेंट हरी सिंह बिष्ट की मां शांति बिष्ट, विश्व संवाद केंद्र अवध प्रांत के प्रमुख अशोक सिन्हा सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय अवध प्रांत के सेवा प्रमुख रजनीश पाठक ने कराया और आभार ज्ञापन इतिहास संकलन समिति की सदस्य डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में अमर बलिदानी लेफ्टिनेंट हरी सिंह की बहन मोनिका विष्ट, नेत्र चिकित्सक डा. संजीव गुप्ता, डॉ. मार्कंडेय राय, अरुण कुमार सिंह, आचार्या बहन राखी बनर्जी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकेश व सरस्वती बालिका विद्यालय सेक्टर आई जानकीपुरम की छात्राएं सहित कई लोग मौजूद रहे।
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