लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 और हाल ही में उत्तर प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) में बड़ा फेरबदल देखने को मिला। बुधवार शाम 11 जून को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक अहम फैसला लेते हुए प्रदेश के लगभग सभी जिलाध्यक्षों को उनके पदों से हटा दिया। इसकी जानकारी पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने दी।

लेकिन इस सूची में कुशीनगर जिलाध्यक्ष राम अवध यादव को छोड़ दिया गया है। यानी, जहां बाकी जिलों में पुराने चेहरों को हटाकर नई नियुक्तियां की गईं, वहीं कुशीनगर इकाई को यथावत रखा गया। ऐसे में सवाल यह उठने लगा कि जब पूरे प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव हुआ, तो कुशीनगर को इससे अलग क्यों रखा गया?

क्या है इसके पीछे की वजह

दरअसल, मार्च 2024 में कुशीनगर सपा जिलाध्यक्ष रहे मोहम्मद शुकरुल्लाह अंसारी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वह 2023 में इस पद पर नियुक्त किए गए थे और उनके जाने के बाद यह पद खाली हो गया था। इसके बाद, 23 मार्च को सपा ने राम अवध यादव को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया। राम अवध यादव उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं और संगठन में काफी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

हाल ही में नियुक्ति होने से मिला समय

चूंकि राम अवध यादव की नियुक्ति अभी दो-तीन महीने पहले ही हुई है, इसलिए माना जा रहा है कि उन्हें हटाना जल्दबाज़ी माना जाता। इसके अलावा, यह भी कहा जा रहा है कि वे अखिलेश यादव के करीबी और विश्वसनीय नेताओं में शामिल हैं, इसीलिए उन्हें अपने पद पर बनाए रखा गया।

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यह भी जानने योग्य है कि समाजवादी पार्टी में संगठनात्मक सुधार की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी थी। इसी महीने आगरा जिले की पूरी टीम को भंग किया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव अब 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का पूरी तरह पुनर्गठन करना चाहते हैं। इस प्रक्रिया में निष्क्रिय पदाधिकारियों को हटाकर जोशिले, निष्ठावान और रणनीतिक रूप से मजबूत नेताओं को सामने लाने की तैयारी की जा रही है। अखिलेश यादव के इस फैसले के बाद अब प्रदेशभर के वे नेता, जो लंबे समय से किसी पद की आस लगाए बैठे हैं, लखनऊ का रुख कर सकते हैं। पार्टी के जिलाध्यक्ष से लेकर विभिन्न फ्रंटल संगठनों के पद अब नए चेहरों को सौंपे जा सकते हैं।

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