नई दिल्ली: भारतीय व्यवस्था परिवर्तन के विरोधी शुरू से रहे हैं। इसीलिए किसी नए नियम के आने पर उससे जानने से पहले उसका विरोध करना शुरू कर देते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जब कंप्यूटर क्रांति के तरफ कदम बढ़ाया था, तो पूरे देश में इसका विरोध शुरू हो गया है। सबके आपने तर्क और कुतर्क थे। बावजूद इसके कंप्यूटर हमारे जीवन और देश की प्रगति के लिए कितना जरूरी हो चला है, इसे आज की पीढ़ी भलीभांति समझती है। इसी तरह केंद्र की मोदी सरकार ने सेना में अग्निवीरों की भर्ती करने की प्रक्रिया को तैयार किया है, जिसका एलान होते ही विपक्षी पार्टियों की तरफ से सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं की तरफ से विरोध शुरू हो गया है। अग्निवीर है क्या? सेना में यह कैसे कार्य करेगी, ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा क्या है इन सबको जाने बगैर युवा विपक्ष के बहकावे में आकर सड़क पर उतर चुका है।
युवाओं को लगता है कि सरकार की यह योजना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। ऐसे में उन युवाओं को यह समझ लेना चाहिए कि कोई भी सरकारी योजना हवा हवाई नहीं होती। इस पर पूरा गहन मंथन होता है और उनसे योग्य लोग इसे तैयार करते हैं। यह भी जरूरी नहीं है कि सरकार की हर योजना सफल ही हो जाए। लेकिन यह भी उचित नहीं है कि किसी भी योजना की आधी अधूरी जानकारी पर विरोध करना शुरू कर दिया जाए। व्यवस्था परिवर्तन होता है तो उसे स्वीकार करने की आदत भी डालनी होगी, वरना जीवन में कुछ नया नहीं होगा। जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना में कुल 12 लाख सैनिक हैं और 2032 तक अग्निवीरों की संख्या इसके आधे के बराबर हो जाएगी। मतलब करीब 6 लाख सैनिक अगले 10 वर्षों में सेना में अग्निपथ स्कीम के तहत शामिल होंगे।
जानकारी के मुताबिक पहले बैच में 46 हजार की भर्ती होनी है और आने वाले 6 से 7 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 1.2 लाख हो जाएगा। इस नजरिए से अगले 10 वर्षों में तो यह 1.6 लाख के करीब हो सकता है। लेफ्टिनेंट-जनरल बीएस राजू ने भी इस बात को स्वीकार किया है। सेना के उपाध्यक्ष ने मीडिया से कहा कि हम अग्निपथ योजना के तहत हर वर्ष भर्ती करने जा रहे हैं। इस वर्ष करीब 40,000 भर्तियां की जाएंगी। सातवें या आठवें साल तक यह 1.2 लाख और फिर दसवें या ग्यारहवें साल तक 1.6 लाख हो जाएगी। सभी भर्तियां (अधिकारियों को छोड़कर) केवल अग्निपथ योजना के तहत की जाएंगी।
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गौरतलब है कि बढ़ते वेतन और पेंशन बिल में कटौती के मकसद से थल सेना, नौसेना और वायुसेना में जवानों की भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा की गई। भारतीय वायुसेना और नौसेना में इस वर्ष 3,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। आने वाले समय में इसी अनुपात में इनकी संख्या बढ़ेगी। अग्निवीरों के प्रत्येक बैच से केवल 25% सर्वश्रेष्ठ को सेना में नियमित कैडर सैनिकों के रूप में 15 साल की सेवा के लिए रखा जाएगा। अन्य 75% अग्निवीरों को चार वर्ष बाद हटा दिया जाएगा।
लेफ्टिनेंट-जनरल राजू के मुताबिक इसका उद्देश्य नियमित कैडर सैनिक (पूर्ववर्ती अग्निवीर) और अग्निवीर (चार साल के कार्यकाल पर) की संख्या को 50-50 के अनुपात में लाना है। छह से सात वर्षों में सैनिकों की औसत आयु 32 से घटकर 24-26 तक आ जाएगी। अग्निवीरों की भर्ती के फैसले से इस बात को लेकर व्यापक चिंताएं हैं कि केवल चार वर्षों की नौकरी से समाज का बड़े पैमाने पर सैन्यकरण होगा। युवाओं के पास युद्ध की ट्रेनिंग तो होगी, लेकिन हर वर्ष करीब 35 हजार से अधिक अग्निवीर बेरोजगार कर दिए जाएंगे। सेना उप प्रमुख ने इन चिंताओं को दूर करते हुए बताया कि इससे समाज में एकता आएगी, युवाओं में देश के प्रति सम्मान बढ़ेगा। रेजिमेंटेशन, लोकाचार और भाईचारा एक साथ रहने, एक साथ खाने और एक साथ लड़ने वाले सैनिकों के समूह का एक आउटपुट है। भले ही वे किसी विशेष समुदाय से क्यों न हों ‘नाम, नमक और निशान’ के मूल सिद्धांतों को कमजोर नहीं किया जाएगा।
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