बस्ती: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को शुक्रवार को उनके 138वीं जयन्ती पर याद किया गया। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति एवं प्रेमचन्द साहित्य जन कल्याण संस्थान द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राजेन्द्र बाबू महात्मा गांधी की निष्ठा, समर्पण और साहस से बहुत प्रभावित हुए और 1928 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय के सीनेटर का पदत्याग कर दिया। कहा कि वे जितने विद्वान उतने ही सहज थे। उनके जीवन से नई पीढी को प्रेरणा लेनी चाहिये।
मुख्य अतिथि डॉ. रामदल पाण्डेय ने कहा कि राजेन्द्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी, उनको देखकर पता ही नहीं लगता था कि वे इतने प्रतिभा सम्पन्न और उच्च व्यक्तित्ववाले सज्जन हैं। देखने में वे सामान्य किसान जैसे लगते थे। अपने जीवन के आखिरी महीने बिताने के लिये उन्होंने पटना के सदाकत आश्रम को चुना।
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संचालन करते हुये अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर अनुरोध कुमार श्रीवास्तव, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, अनिल कुमार राठौर, अभिषेक गौतम, डॉ. पंकज कुमार सोनी, राघवेन्द्र शुक्ल, धर्मेन्द्र पाण्डेय, सामईन फारूकी, पं. चन्द्रबली मिश्र, कृष्ण चन्द्र पाण्डेय, जय प्रकाश गोस्वामी आदि को उनके योगदान के लिये प्रेमचन्द साहित्य जन कल्याण संस्थान की ओर से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से दीनानाथ, गणेश, राजेश गुप्ता, अजय श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।
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