(भाग-१)
प्रभु राम की विरासत,
यूपी की राजधानी।
तहज़ीब गंगा जमुनी,
लखनऊ की निशानी।।
शाम-ए-अवध की मस्ती,
और दिलकशी नजारा।
शाही शहर नबाबी,
लखनऊ सबको प्यारा।।
मन मोह लेता सबका,
पावन इमामबाड़ा।
आलिशान गेट रुमी,
दिखता बड़ा ही प्यारा।।
टम-टम यहाँ पे चलते,
चलती है मोटर-गाड़ी।
आबो-हवा यहाँ की,
निश्चित है सबसे न्यारी।।
मशहूर चिड़ियाघर है,
जहां शेर, हाथी, बंदर!
कोई जंतु देखना हो,
सबकुछ मिलेंगे अंदर!!
छुक-छुक करती चलती,
यहाँ ट्वाय रेल गाड़ी।
बच्चों के संग बूढ़े भी,
करते हैं सवारी।।
थोड़ा बढ़ोगे आगे,
नदी गोमती किनारा!
जिस तट पर बैठे दिल को,
मिलता बड़ा सहारा!!
मनोहर रिवर फ़्रंट है,
यहाँ वाटिका है सुन्दर।
खिलते हैं गुल यहाँ पर,
हँसती हो जैसे दुल्हन।।
फूलों की सजी क्यारी,
मनोरम है दृश्य, लगता।
चिड़ियों की होती चह-चह,
सूरज है जब निकलता।।
उजियारी रात हो तब,
देखो जो जल के अन्दर।
लगाता शशि डुबकी,
आकाश से उतरकर।।
निहायत ही ख़ूबसूरत,
दिखता है ये नज़ारा।
सोनकिरवा करते टीम-टीम,
चलता यहाँ फ़व्वारा।।
रहते कहीं हो बाहर
प्रिय आओ लख़नऊ में!
यदि जन्म है यहीं तो,
मुस्कुराओ लखनऊ में!!
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क्रमश:..
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