कोलकाता: भारतीय कानून की मुख्य कड़ी पुलिस है। मामला कितना सही और गलत है यह पुलिस की विवेचना पर निर्भर करता है। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि पीड़ित को कितना इंसाफ मिल पाएगा और कोर्ट क्या फैसला दे पाएगा यह दोनों बाते पुलिस की विवेचना पर निर्भर करती हैं। यहीं वजह है कि पुलिस की निष्पक्षता हमेशा सवालों के घेरे में बनी रहती है। पुलिस कितना गलत करती है इसका अंदाजा बड़े मामलों को देखकर समझा जा सकता है। छोटे मामले तो थाने में ही दम तोड़ देते हैं। इसी तरह का बड़ा मामला पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से आ रहा है। यहां पुलिस के काम में अवरोध पैदा करने के आरोप में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित अन्य टीएमसी नेताओं पर एफआईआर दर्ज किया गया है।
खबरों के मुताबिक त्रिपुरा पुलिस ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ साथ मंत्री ब्रत्य बसु और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। प्राथमिकी में आरोप है कि 14 टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से खफा मेंत्री ब्रत्य बसु और सांसद डोला सेन के नेतृत्व में पार्टी के लोग खोवाई थाने पहुंचे। इसी के तुरंत बाद ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी आ गए। पुलिस के मुताबिक इस दौरान टीएमसी नेताओं के समूह ने एडिशनल एसपी और अन्य पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यहार किया। खोवाई पुलिस ने टीएमसी के शीर्ष नेताओं पर एडिशनल एसपी और एसडीपीओ के साथ दुर्व्यवहार करने तथा पुलिसकर्मियों को ड्यूटी करने से रोकने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने त्रिपुरा पुलिस के आरोपों का निराधार बताते हुए इसे भाजपा की साजिश का हिस्सा बताया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में भाजपा और टीएमसी के बीच जारी कड़ुवाहट का असर त्रिपुरा में देखा जा रहा है। यहां भी टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल की तरह हिंसा पर उतारू दिख रहे हैं। बीते दिनों अभिषेक बनर्जी और टीएमसी कार्यकर्ताओं पर अलग अलग जगहों पर हमले की खबर थी।
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