Hindu culture: हमारे हिंदू घरों में अक्सर देखा जाता है कि रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए अलग निकाली जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है?

दरअसल, हमारी संस्कृति में गाय को सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि माता का दर्जा दिया गया है। मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। लेकिन यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक सार्थक तरीका है।

भूत यज्ञ का महत्व

हमारे शास्त्रों में मनुष्य के जीवन को सार्थक बनाने के लिए पांच तरह के यज्ञ बताए गए हैं। इनमें से एक है ‘भूत यज्ञ’। इस यज्ञ का मतलब है धरती के सभी जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और प्रकृति का ध्यान रखना। गाय को पहली रोटी देना, यह ‘भूत यज्ञ’ का एक बहुत ही सुंदर रूप है। यह हमें सिखाता है कि हमारी खुशहाली दूसरे जीवों की भलाई से भी जुड़ी हुई है।

क्यों कहते हैं ‘गौ माता’

गाय को ‘माता’ कहने के पीछे सिर्फ भावनाएं ही नहीं, बल्कि गहरा विज्ञान और आध्यात्मिक तर्क भी छिपा है।

आध्यात्मिक लाभ: माना जाता है कि गाय को भोजन कराने से हमारे पापों का नाश होता है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

इसे भी पढ़ें: रावण दहन और ब्राह्मण का धर्मसंकल्प

पितरों की तृप्ति: शास्त्र कहते हैं कि गाय को अन्न देने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को भी शांति मिलती है। इसीलिए श्राद्ध जैसे कर्मों में गाय का विशेष स्थान है।

वैज्ञानिक पक्ष: वैज्ञानिक दृष्टि से भी माना जाता है कि गाय के आसपास रहने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मन को शांति और मस्तिष्क को स्थिरता मिलती है।

इसे भी पढ़ें: एक चींटे में छुपा था इंद्र का अतीत!

Spread the news