वेद: संसार के सबसे प्राचीन धार्मिक और ज्ञान ग्रंथ। इन्हीं के आधार पर विश्व की अनेक सभ्यताओं और धर्मों का विकास हुआ। वेदों को ईश्वर द्वारा ऋषियों को प्रदान किया गया दिव्य ज्ञान माना जाता है, इसलिए इन्हें “श्रुति” कहा जाता है।

“वेद” का अर्थ है ज्ञान। यह केवल धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि ब्रह्मांड, विज्ञान, गणित, ज्योतिष, औषधि, भूगोल, इतिहास, जीवनशैली और मोक्ष तक के मार्ग का संपूर्ण संग्रह है।

वेदों की उत्पत्ति और महत्व

शतपथ ब्राह्मण के अनुसार- अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ने तपस्या से चारों वेद प्राप्त किए। एक मान्यता के अनुसार, ब्रह्माजी के चार मुखों से वेदों की उत्पत्ति हुई। वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं।

पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में वेदों की 28,000 पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है।

चारों वेद और उनके उपवेद

ऋग्वेद (ज्ञान)- 10 मंडल, 1028 सूक्त, 11,000 मंत्र। इसमें देवताओं की स्तुति, प्रार्थना, भौगोलिक विवरण और औषधियों का उल्लेख मिलता है। उपवेद: आयुर्वेद।

यजुर्वेद (कर्म)- यज्ञ की विधियां और रहस्यमयी तत्वज्ञान। दो शाखाएं शुक्ल और कृष्ण। उपवेद: धनुर्वेद।

सामवेद (उपासना)- ऋग्वेद के मंत्रों का संगीतमय रूप। संगीत और उपासना का आधार। उपवेद: गंधर्ववेद।

अथर्ववेद (विज्ञान)-  रहस्यमयी विद्याएं, औषधियां, जड़ी-बूटियां और आयुर्वेद। उपवेद: अर्थवेद/स्थापत्यवेद।

वेदों का विभाजन और उपलब्ध शाखाएं

कुल शाखाएं: 1127, वर्तमान में उपलब्ध: 12

उदाहरण: ऋग्वेद- शाकल, वाष्कल। यजुर्वेद- काण्व, मध्यन्दिनी, तैत्तिरीय संहिता, काठक, मैत्रायणी। सामवेद- जैमिनीया, राणायसीम। अथर्ववेद- शौनक, पिप्पलाद।

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वेदों से निकले अन्य ज्ञान-ग्रंथ

ब्राह्मण ग्रंथ- ऐतरेय, शतपथ, सामविधान, गोपथ।

वेदांग- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, ज्योतिष।

छह शास्त्र- न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मिमांसा, वेदांत।

मुख्य उपनिषद- ईश, कठ, केन, प्रश्न, मुण्डक, माण्डुक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, छांदोग्य, बृहदारण्यक, श्वेताश्वतर।

वेद क्यों हैं अद्वितीय

वेद न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और जीवन की हर समस्या का समाधान भी प्रदान करते हैं। यही कारण है कि आज भी वेदों का अध्ययन, संरक्षण और समझ आवश्यक है।

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