Darul Uloom Deoband: उत्तर प्रदेश का एक जिला है सहारनपुर। यह नगर दिल्ली से डेढ़ सौ किमी की दूरी पर है। इसी जिले में देवबन्द नगर है। जो सहारनपुर और मुजफ्फरनगर के बीच स्थित है। सहारनपुर से देवबन्द की दूरी 52 किमी है। देश और विदेश में ही नहीं उत्तर प्रदेश के भी अधिकांश लोगों को देवबन्द नाम सुनते ही इस्लाम के एक बड़े केन्द्र दारुल उलूम देवबन्द की झलक मस्तिष्क में कौंध जाती है। संसार के अनेक देशों में देवबन्दी मुसलमानों की एक विचारधारा प्रवाह में है।
भारत के पड़ोसी मुस्लिम देशों के अधिकांश बड़े मौलाना देवबन्द से निकले हैं। इस दारुलउलूम की धाक भारत की राजनीति पर बहुत गहरी हो चुकी है। भारत के कई राजनीतिक दलों को यह इस्लामी केन्द्र अपनी उंगलियों पर नचाने के लिए जाना जाता है। धर्म निरपेक्षता के नाम पर इस्लाम का पक्ष लेने वाले राजनीतिक दल इसी केन्द्र के संकेत पर नीतियां गढ़ते हैं। सबसे महत्व की बात यह है कि दारुल उलूम की देवबन्द में स्थापना 1857 की क्रान्ति के बाद हुई। भारत के विभाजन के समय इस केन्द्र के बड़े मौलानाओं की सक्रियता बड़े गम्भीर अर्थ रखती थी।
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1947 के बाद से निरन्तर भारत के मुसलमानों की कट्टरता को बढ़ाने में दारुल उलूम सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। बदले राजनीतिक परिदृष्य में माना जाता है कि देवबन्द की भूमिका भारत की सीमाओं से बाहर इस्लामी जगत में इतनी बढ़ चुकी है कि अनेक देशों के मुसलिम शासनाध्यक्ष अपने-अपने देशों के सन्दर्भ में दारुल उलूम की भूमिका पर दृष्टि गड़ाये रहते हैं। दारूल उलूम जिस तरह भारत में सत्ता पर इस्लामी जकड़ बनाने के लिए प्रयत्नरत है यह बात किसी से छिपी नहीं है। उसी तरह मुस्लिम देशों के इस्लामी शासकों पर भी पकड़ बनाने के लिए यहाँ के दिग्गज मौलाना सपने देखते रहते हैं।
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