Good News: चावल, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक खाया जाने वाला अनाज है, अब एक नई किस्म के साथ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनकर सामने आया है। फिलीपींस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) ने एक ऐसी चावल की किस्म विकसित की है, जो डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद कर सकती है।

डायबिटीज और चावल का संबंध

दुनिया भर में लगभग 537 मिलियन लोग डायबिटीज के शिकार हैं, और इस संख्या के 2045 तक बढ़ने की उम्मीद है। गलत लाइफस्टाइल, मोटापा और जेनेटिक्स जैसे कारक इस बीमारी को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। टाइप 2 डायबिटीज तब होती है जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं, जिससे रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

नई किस्म का लाभ

IRRI के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नेसे श्रीनिवासासुलु के अनुसार, इस नई चावल की किस्म का ग्लाइसिमिक इंडेक्स (GI) बहुत कम है। GI यह मापने का एक मानक है कि कोई खाद्य पदार्थ कितनी तेजी से रक्त शुगर के स्तर को बढ़ाता है। यदि किसी खाद्य पदार्थ का GI 45 से कम है, तो इसका मतलब है कि यह रक्त शुगर को प्रभावित नहीं करता। इस नई चावल की किस्म को भोजन में शामिल करने से डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इस चावल में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक है, जो कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

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भारत में उपलब्धता

IRRI ने 2025 तक एशिया और अफ्रीका के देशों में इस चावल की किस्म को वितरित करने की योजना बनाई है। भारत में भी इसे जल्दी ही उत्पादित करने की संभावना है, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को भी इसका लाभ मिल सकेगा। इस नई चावल की किस्म का विकास एक सकारात्मक कदम है, जो न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए राहत प्रदान करेगा, बल्कि आम जनता के लिए भी एक स्वस्थ विकल्प होगा। इससे न केवल भारतीय खाद्य संस्कृति को एक नया आयाम मिलेगा, बल्कि यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम करने में सहायक होगा।

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