Asma Batool in Jail: हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक विवादास्पद घटना ने महिलाओं के उत्पीड़न और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं। ब्लॉगर अस्मा बतूल, जो अक्सर महिलाओं के अधिकारों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाती रही हैं, को सोशल मीडिया पर एक कविता शेयर करने के बाद ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
अस्मा ने सलमान हैदर की एक कविता शेयर की थी जिसमें धर्म के विभिन्न रूपों के बावजूद महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ सवाल उठाए गए थे। इस कविता के वायरल होने के बाद कई मौलवियों ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अल्लाह का अपमान किया है। इसके परिणामस्वरूप, अस्मा के खिलाफ ईशनिंदा का केस दर्ज कर लिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद, अस्मा के घर पर एक हिंसक भीड़ ने हमला किया, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गए हैं। वीडियो में कुछ मौलवी भी शामिल हैं, जो अस्मा को धमकाते हुए देखे जा सकते हैं। अस्मा के परिवार ने इस हमले की शिकायत पुलिस से की है और कहा है कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और उनके घर में आग लगाने की कोशिश की गई। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान में व्यापक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कई लोग अस्मा की रिहाई की मांग कर रहे हैं और उन्हें ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार करने की कार्रवाई की निंदा कर रहे हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ता और सोशल मीडिया यूजर्स अस्मा की गिरफ्तारी को असहमति को दबाने का एक तरीका मान रहे हैं।
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गुलालाई, जो मानवाधिकार पर काम करती हैं, ने टिप्पणी की कि ईशनिंदा कानून अब नए राजद्रोह कानून के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे असहमत विचारधारा वाले लोगों को दंडित किया जा रहा है। इस पूरे मामले ने यह सवाल उठाया है कि पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए। सोशल मीडिया पर अस्मा के समर्थक और आलोचक दोनों ही सक्रिय हैं, और यह मामला तेजी से एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे का रूप लेता जा रहा है।
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