Jal Jeevan Mission: केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजना जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के चलते मिशन से भटक गया है। अधिकारियों के फर्जी आंकड़ों से सरकार जहां मस्त है, वहीं अधूरे निर्माण कार्यों से जनता त्रस्त नजर आ रही है। सरकारी आंकड़ों और हकीकत मंत जमीन-आसमान का फर्क है। आंकड़ों में जहां हर घर नल से जल योजना के तहत ग्रामीण परिवारों तक स्वच्छ जल पहुंचाने में उत्तर प्रदेश जहां देश का सबसे अग्रणी राज्य बन गया है, वहीं हकीकत में यह योजना भ्रष्टाचार में अकंठ डूब चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत देख कर यह समझा जा सकता है कि इस योजना में न जल है और न ही इसको लेकर विभाग के पास कोई मिशन है, बस केवल नाम का जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) है। अधूरे पानी टंकी के निर्माण, गांवों में खुदी सड़कें, बिना टोटी के नल कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार के खेल की पोल खुल रहे हैं। हालांकि, जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) की तरफ से पानी की समस्या से जुड़ी शिकायत दर्ज कराने के टोल फ्री नंबर 18001212164 जारी किया गया है। लेकिन यह भी हाथी के दांत की तरह है।
यहां आपकी शिकायत तो दर्ज हो सकती है, पर उसके निस्तारण की न तो कोई गारंटी नहीं है और न ही कोई समय सीमा तय है। आलम यह है कि इन शिकायतों की की समीक्षा तो दूर लापरवाही बरतने वालों पर कोई कार्रवाई भी नहीं होती। अधिकारी व कर्मचारी राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर के किसान बाजार स्थित जन जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के आलीशान ऑफिस में बैठकर ग्रामीणों की प्यास बुझाने के फर्जी आंकड़े तैयार करते रहते हैं। जल जीवन मिशन के डैसबोर्ड पर रोजाना सैकड़ों नल कनेक्शन देने के आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं, जिससे यह मान लिया जाता है कि प्रदेश के इतने घरों तक स्वच्छ जल पहुंचने लगा है। जबकि हकीकत कुछ और ही है। बिना टोटी के लगे नल सरकार की योजना को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
फर्जी आंकड़े गढ़ने का चल रहा काम
फर्जी आंकड़े गढ़ने में उत्तर प्रदेश का कोई जवाब नहीं है। यहां के अधिकारियों को पता है कि योगी सरकार सरकारी आंकड़ों पर आंख मूंद कर विश्वास करती है। शायद यही वजह है कि सरकारी योजनाओं की खामियों के बारे में योगी सरकार को सही जानकारी नहीं है। जल जीवन मिशन को प्रदेश में जहां अंतिम चरण में माना जा रहा है, वहीं इसका काम अभी आधा भी नहीं हो सका है। मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती के गौर विकासखण्ड के बेलघाट गांव का है। जहां पिछले छह माह से नल कनेक्शन देने के नाम पर सड़क को तोड़ दिया गया, मगर अभी तक ग्रामीणों को न तो नल कनेक्शन दिए गए और न ही तोड़ी गई सड़कों का निर्माण ही कराया गया। ऐसा ही नजारा आसपास के शहरों के ग्रामीण क्षेत्रों का भी है।
जानकारी के मुताबिक, इस संदर्भ में गांव के कुछ लोगों की तरफ से टोल फ्री नंबर 18001212164 पर अधूरे कार्यों के संदर्भ में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसका शिकायत नंबर 109213 था। शिकायत के करीब 3-4 माह बीत जाने के बाद शिकायतकर्ता ने जब इसके स्थिति जानने के लिए दोबारा संपर्क किया तो बताया गया कि अधिशासी अभियंता, जल निगम (ग्रामीण) बस्ती की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसमें गांव में पानी की सप्लाई का काम पूरा हो चुका है। जबकि हकीकत क्या है, इसे आप इन तस्वीरों को देखकर समझ सकते हैं।
झूठ फैलाने में आगे है जल जीवन मिशन
जल जीवन मिशन की तरफ से न सिर्फ फर्जी आंकड़े गढ़े जा रहे हैं, बल्कि झूठ और मिथ्या खबरों के जरिये योजना का प्रचार भी किया जा रहा है। बीते दिनों जल जीवन मिशन की तरफ से खबर चलवाई गई थी कि नल कनेक्शन के तहत मिले यूनिक नंबर घरों की पहचान बनेगी। जबकि जो तस्वीरें ग्रामीण क्षेत्रों से संकलित की गई हैं, उसमें आप देख सकते हैं कि किस तरह अधूरे कार्यों को छोड़कर नल कनेक्शन देने की खानापूर्ति की गई है। जब नल कनेक्शन ही सही से नहीं पाया है, तो इसका यूनिक नंबर क्या होगा इसे समझा जा सकता है। जल जीवन मिशन की तरफ से यह भी दावा किया जाता है कि इसके तहत ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को स्कील ट्रेनिंग देकर उसी गांव में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रह हैं। प्रदेश के कुछ गांवों को छोड़ दिया जाए तो अधिकत्तर गांवों के लोगों को इस योजना की सही जानकारी ही नहीं है। जिन गांवों में पाइप लाइन बिछ रही है, उस गांव के लोगों को भी नहीं पता है कि यह कार्य किस योजना के तहत हो रहा है।
इन्हीं झूठे आंकड़ों के चलते हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार का सिरे से नकार दिया है। बावजूद इसके अधिकारियों पर इसका कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है। प्रचण्ड गर्मी का मौसम अब ढलान पर है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल मिलने की बात अभी सपने जैसा है। जल जीवन मिशन के कार्य की प्रगति को देखकर यह कह पाना मुश्किल है कि यह योजना तय समय में पूर्ण हो पाएगी। लेकिन विभागीय आंकड़ों को आप देखेंगे तो वर्तमान में प्रदेश के अधिकत्तर परिवारों को स्वच्छ जल मिलने लगा है।
देश और प्रदेश की अब तक की सरकारें गरीबों के साथ मजाक करती थीं। वहीं भ्रष्ट अफसरशाही के चलते केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार प्यासों के साथ जल जीवन मिशन के नाम पर भद्दा मजाक कर रही है। नल कनेक्शन नहीं था तो ग्रामीणों को स्वच्छ जल की आस भी नहीं थी। नल कनेक्शन मिलने की बात सामने आने पर लोगों में स्वच्छ जल की चाह बढ़ गई है। मगर नाकारा अफसाशाही अधूरे नल कनेक्शन के जरिए जनता और सरकार दोनों को गुमराह करने में लगी हुई है। सवाल यह भी है कि अधूरे नल कनेक्शन को अगर पूरा दिखाया जा रहा है, तो इसमें खर्च होने वाले बजट का पैसा किसकी जेब में जा रहा है।
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सूत्रों की मानें तो अधूरे कामों के पीछे बजट के अभाव की बात की जा रही है। जबकि अधिकारी फर्जी आंकड़े तैयार कर न सिर्फ वाहवाही लूट रहे हैं बल्कि अपने वेतन में बढ़ोत्तरी का रास्ता भी तलाश रहे हैं। जल जीवन मिशन के हर घर नल से जल योजना की उपलब्धि गिनाकर मार्च 2024 में जल निगम के कर्मियों और पेंशनरों के डीए में चार प्रतिशत की बढ़ोत्तोरी का तोहफा दे दिया गया।
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