आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
सीमा हैदर से डरता कौन है? सीमा हैदर (Seema Haider) से भारत की सुरक्षा खतरे में है क्या? सीमा हैदर (Seema Haider) को लेकर पाकिस्तान की परेशानी क्या है? क्या पाकिस्तान की आतंकवादी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई (ISI) की पूरी भारत विरोधी नीति खतरे में पड़ गयी है? अगर नहीं तो फिर एक सीमा हैदर को लेकर आईएसआई (ISI) भारत में इतनी विरोध की अग्नि क्यों जला रखी है? क्या आईएसआई के कहने और उसकी इच्छा की पूर्ति करने में भारत की सोशल मीडिया सक्रिय है और मोहरे के रूप में इस्तेमाल हो रहा है? फिर भारतीय मुस्लिम कट्टरपंथियों का अभियान आईएसआई (ISI) के पक्षधर क्यों हैं? क्या भारतीय सुरक्षा एंजेंसियां भी सीमा हैदर (Seema Haider) को लेकर अनावश्यक तनाव में हैं और देश की सुरक्षा खतरे में पड़ने का अनावश्यक बोझ अपने उपर रख कर चल रही हैं? अनावश्यक उत्पीड़न का शिकार बनाने से बचने की आवश्यकता नहीं है क्या? हमें मानवीय मूल्यों की कसौटी पर देखने की जरूरत कैसे नहीं है?
सीमा हैदर (Seema Haider) के प्रसंग में आप सबों को मेरी पुस्तक एनआरसी का भस्मासुर और रोहिंग्या-बांग्लादेशी आतंकवाद पढ़नी चाहिए और भारत को इस्लामिक देश में तब्दील करने की साजिश समझनी चाहिए। मेरी यह पुस्तक 308 पेज की है। सीएए कानून आने के पूर्व मेरी यह पुस्तक प्रकाशित हो चुकी थी। मैंने इस पुस्तक में लिखा है कि कैसे देश की राजनीति, सुप्रीम कोर्ट और संविधान भारत को एक इस्लामिक देश में तब्दील करने के लिए सक्रिय है। आप कहेंगे कि सीमा हैदर के प्रश्न पर आपकी पुस्तक हमें क्यों पढ़नी चाहिए? इसलिए पढ़नी चाहिए कि सीमा हैदर-सीमा हैदर जो लोग चिल्ला रहे हैं और भारत की सुरक्षा के खतरे में पड़ने की आवाज उठा रहे हैं, यह भी कह रहे हैं कि हम पाकिस्तानी नागरिक का बोझ क्यों उठायें? उनकी असली पहचान क्या है, इनके अभियान का असली मकसद क्या है? क्या ये आईएसआई के मजहबी हथकंडे हैं? मेरी पुस्तक पढ़ने में ऐसे लोगों के मूल उद्देश्य पता जरूर चल जायेगा। ये लोग रोहिंग्या समर्थक हैं, बांग्लादेशी समर्थक हैं, पाकिस्तानी-अफगानिस्तानी समर्थक हैं और भारत को इस्लामिक देश के रूप में तब्दील करने की साजिश में लगे हुए हैं। ये भारत में दस करोड़ रोहिंग्याओं और पाकिस्तानियों को बसाने की व्यवस्था और नीति के समर्थक हैं। पर इन्हें एक सीमा हैदर पंसद नहीं है? आखिर क्यों? इसलिए कि एक मुस्लिम औरत होते हुए सीमा हैदर ने एक हिन्दू से शादी करने का काम किया है।
पर अपने आप को राष्ट्रवादी कहने वाले और अपने आप को सनातनी कहने वाले भी सीमा हैदर के पीछे क्यों पड़े हुए हैं? ये भी सीमा हैदर को आईएसआई की एजेंट और भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने की बात क्यों कर रहे हैं? जो राष्ट्रवादी मूर्ख हैं, नासमझ हैं और भविष्य दृष्टि देखने के लायक नहीं हैं, वे निश्चित तौर पर आईएसआई की साजिश के शिकार बन गये हैं। कुछ सनातनी वर्ग नासमझ होने के कारण हैदर के पीछे उसी तरह पड़े हैं, जिस तरह से रोहिंग्या, बांग्लादेशी, पाकिस्तानी और अफगानी घुसपैठियों के समर्थक पीछे पड़े हैं। समस्या यह है कि हम अगर हैदर के पक्ष में तर्क दूं और समझाऊं तो भी समझेंगे नहीं, बल्कि कुतर्क के साथ खड़े रहेंगे। देश में कुतर्कों की बहुत बड़ी जमीन है। कुतर्कों के सामने जनकल्याणकारी प्रश्न भी विध्वंस हो जाते हैं।
देश की सुरक्षा एजेंसियां उन लोगों को कभी पूछताछ का शिकार नहीं बनाती हैं जो बांग्लादेशी, रोहिंग्या, पाकिस्तानी और अफगानी घुसपिठयों को देश में संरक्षण देकर बसाते हैं और उन्हें भारत के नागरिक होने का फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं। रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से चलकर जम्मू-कश्मीर तक कैसे पहुंच जाते हैं? जबकि जम्मू-कश्मीर और म्यंमार की सीमा में हजारों किलोमीटर की दूरी है। कोई न कोई संगठन और थैलीशाह इस साजिश में जरूर लगा हुआ है। पाकिस्तान की आईएसआई और अरब देशों के मुस्लिम संगठन भारत में रोहिंग्याओं को बसाने में पैसा पानी की तरह खर्च करते हैं। पर आज तक आईबी, रॉ और सीबीआई आदि किसी गुप्तचर सुरक्षा एजेंसी ने ऐसी साजिश के खिलाफ किसी को बेनकाब तक नहीं किया है?
लेकिन देश की गुप्तचर एजेंसियां सीमा हैदर के मामले में कितनी सक्रिय हैं? यह भी बताने की जरूरत नहीं है। बार-बार हैदर को देश के लिए खतरा बताया जा रहा है और उसे पूछताछ का शिकार बनाया जा रहा है। उससे आईएसआई संबंध होने की बात बतायी जा रही है। हमारी गुप्तचर एजेंसियां भी मुस्लिम कट्टरपंथियों और मुस्लिम आतंकवादी संगठनों की साजिश में शामिल हो गयी हैं और उनके प्रोपगडा के पैरवीकार बन गयी हैं। हमारी गुप्तचर एजेंसियों की अति सक्रियता को देखते हुए ऐसी धारणा विकसित करना भी स्वभावित है। मुस्लिम संगठनों, मुस्लिम कट्टरपंथियों और आईएसआई को समस्या क्या है? इनकी समस्या इस्लामिक है। इनका इस्लाम खतरे में पड़ गया है।
मुसलमान कहते हैं कि मैं अल्ला के अलावा किसी से डरता नहीं हूं पर एक सीमा हैदर के कदम से मुस्लिम दुनिया डर गयी है। मुस्लिम कट्टंदपथियों की नींद हराम हो गयी, उनकी चिंता में इस्लाम की बदनामी है। हिन्दू लड़कियां जब पाकिस्तानियों से शादी करती थी, तब ये खुश होते थे। जब देश में कोई बड़ी हस्ती वाली हिन्दू लड़की किसी मुस्लिम से शादी करती थी, तब ये खुश होते थे और जश्न मनाते थे। पर अब उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। पाकिस्तानी लड़कियां भी इस्लाम की कूरीतियों से तंग आकर भारतीय लोगों से शादी करना प्रारभ कर दी है, अब धीरे-धीरे भारत में भी मुस्लिम लड़कियां खूल कर सामने आ रही हैं और हिन्दू लड़कों से शादी कर रही हैं। ऐसी परिस्थिति बनने से मुस्लिम कट्टरपंथियों खासे परेशान और आक्रोशित है। इसीलिए मुस्लिम कट्टरपंथी हैदर को किसी भी परिस्थिति में भारत से निकलवाना चाहते हैं।
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हैदर से भारत को कोई खतरा नहीं है। हैदर से अगर किसी को खतरा है तो वह सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान, उनकी आतंकवादी गुप्तचर एजेसी आईएसआई को। पाकिस्तान और आईएसआई से मिले हुए देशद्रोहियों को भी खतरा है। आईएसआई अब तक हिन्दुओं और भारत को दुश्मन के रूप में रखती थी और स्थापित कर दुष्प्रचार करती थी। लेकिन अब स्थितियां बदल गयी हैं। इस्लाम की बुनियाद पर खड़ा पाकिस्तान आज दाने-दाने को मोहताज है, इस्लाम की बंदिशों के कारण मुस्लिम लड़कियां त्राहिमाम करती हैं। यही कारण है कि सीमा हैदर जैसी प्रतीक खड़ी हो रही हैं जो पाकिस्तान, आईएसआई व मुस्लिम कट्टरपंथियों को चुनौती दे ही हैं, आईना दिखा रही हैं। सीमा हैदर देश के लिए खतरा क्यों नहीं है? इस पर भी गंभीरता से विचार करना जरूरी है। अगर सीमा हैदर अपनी पहचान छुपा कर भारत में घुसपैठ कर रहती तो ज्यादा खतरा होता। उसकी पहचान बेनकाब हो चुकी है, सर्वविदित हो चुकी है। उसकी गतिविधियां अब पर्दे के पीछे ज्यादा छिप नहीं सकती हैं। अगर फिर भी गुप्तचर एजेंसियों को शक है, तो उसकी गतिविधियों को निगरानी में डाल कर रखना चाहिए। भारतीय गुप्तचर एंजेंसियों के पास निगरानी तकनीक बहुत ही सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए सीमा हैदर से डरने की बात हमें करनी ही नहीं चाहिए।
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इंटरनेट की दुनिया का यह चमत्कार है। इंटरनेट की दुनिया ने दूरियां समाप्त कर दी है। सीमा हैदर और सचिन मीणा की कहानी के पीछे रहस्य भी यही है। पाकिस्तान एक अराजक और हिंसक देश है और उस पर मुस्लिम मजहबी कुरीतियां सवार रहती हैं। इसलिए सीमा हैदर को पाकिस्तान भेजना मानवीय मूल्यों के खिलाफ है, उसका जीवन हिंसा का शिकार हो सकता है। इसलिए सीमा हैदर प्रकरण में हमें मानवीय मूल्यों की कसौटी अपनानी चाहिए। जब दस करोड़ बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों को रख कर उनकी चरणवंदना कर रहे हैं, तो फिर एक औरत और उसके बच्चों को रखने में कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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