Joshimath: विकास के नाम पर प्रकृति से की जा रही छेड़छाड़ आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। इसका जीता जागता उदहारण उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) के रूप में इस समय हमारे सामने है। जोशीमठ (what will happen to Joshimath) में भू-धंसाव के बीच 4 हजार लोगों को वहां से सुरक्षित निकाला जा चुका है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि जिन बिल्डिंगों में दरारें और ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें अब जमींदोज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पास की सुरक्षित इमारतों को नुकसान न हो, इसको देखते हुए मंगलवार से क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों के ध्वस्तीकरण का काम शुरू हो जाएगा।
गौरतलब है कि जोशीमठ (what will happen to Joshimath) के क्षेत्र को तीन जोन में बांटा गया है, जिसको खतरनाक, बफर और पूरी तरह से सुरक्षित जोन में रखा गया है। इन जोन को मैग्नीट्यूड के आधार पर भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बांटा गया है। जानकारी के मुताबिक भू-धंसाव के शिकार जोशीमठ की 600 से ज्यादा इमारतों पर दरारें मिली हैं। इन इमारतों में जो सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई होगी, उन्हें आज ध्वस्त किया जाएगा।
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30 फीसदी हिस्सा हुआ है प्रभावित
बता दें कि जोशीमठ को लेकर राज्य और केंद्र सरकार हरकत में आ गई हैं। जोशीमठ को आपदा बहुल क्षेत्र घोषित कर दिया गया है और शहर के आसपास के इलाकों में भी निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ से करीब 4 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है, उत्तराखंड के जोशीमठ का 30 फीसदी हिस्सा भू-धंसाव से प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों की एक कमेटी इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है, यह रिपोर्ट पीएम कार्यालय में जमा होगी।
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