गौरव तिवारी

लखनऊ: हर सरकार का अपना एजेंडा होता है और यही उसे औरों से अलग भी बनाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) का पहला कार्यकाल पूरा हो चुका है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 का सुरूर चरम पर है। अपने कड़े और बड़े फैसले और सरकार की उपलब्धियों को लेकर योगी सरकार (CM Yogi) चुनाव मैदान में हैं। हर सरकार की तरह योगी सरकार (Yogi government) के साथ भी उपलब्धियों के साथ कुछ नाकामियां भी हैं। यहां हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उन नाकामियों का जिक्र कर रहे हैं, जो प्रशासनिक उपेक्षा के चलते हवा-हवाई रह गईं। सत्ता की कमान संभालते ही सीएम योगी ने प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने का एलान किया था। योगी सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया, लेकिन प्रदेश की सड़कें कितना गड्ढा मुक्त हो पाईं यह सवाल आज भी बना हुआ है। इसी के साथ ही पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट के पेट्रोल देने पर भी रोक लगाई गई थी। कुछ दिनों तक यह प्रभावी भी रहा, लेकिन बाद में यह आदेश भी सरकारी बनकर ही रह गया।

इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन को भी बैन किया गया था। पॉलिथीन रखने के आरोप में कई दुकानदारों का उत्पीड़न भी किया गया। बावजूद इसके पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्रियां चल रही हैं। दुकानों में बिना किसी भय के पॉलिथीन में सामान दिया जा रहा है। प्रदेश में योगी सरकार (Yogi government) आने के बाद अपराध पर जहां काफी हद तक अंकुश लगा, वहीं सरकारी संरक्षण में चल रहे अपराध बदास्तूर जारी हैं। सरकारी संरक्षण का मतलब जैसे जेल के अंदर प्रतिबंधित सामानों का मिलना, बिना हेलमेट के पेट्रोल की बिक्री, थैले की जगह पॉलिथीन का प्रयोग सामान्य सी बात हो गई है।

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माफिया अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे अपराधी और उनके करीबियों की संपत्ति की कुर्की व अवैध निर्माण पर सरकारी बुलडोजर चलवा कर जमीनदोज कर दिया गया। तो वहीं इनामिया घोषित माफिया धनंजय सिंह की गिरफ्तारी न हो पाना सरकार और पुलिस पर बड़ा सवाल कर रहा है। निष्पक्षता की बात करना और निष्पक्ष होकर काम करने की सरकार की कथनी और करनी के इस फर्क में आम जनता उलझ कर रह गई है।

सपा सरकार में गुंडों-माफियाओं की गुंडई से तंग जनता को भाजपा सरकार से काफी उम्मीद थी। सरकार जनता की इन उम्मीदों पर काफी खरा भी उतरी, लेकिन कुछ मामले हैं, जिससे उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। फिलहाल योगी सरकार के हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं, गड्ढा मुक्त सड़कें, पॉलिथीन पर प्रतिबंध ऐसे फैसले हैं जो अभी भी अधूरे बने हुए हैं। इसमें से हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं पूर्ववर्ती सपा सरकार के मंत्री का फैसला था, जिसे न उस सरकार में प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता और न ही योगी सरकार में ही इसका पालन कराया जा सकता।

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