Deoria Sanskruti Parv: भोजपुरी भाषा और संस्कृति का महाकुंभ कहा जा रहा विश्व भोजपुरी सम्मेलन इस बार दो दिन तक देवरिया में धूमधाम से मनाया जाएगा। 13 और 14 दिसंबर को राजकीय इंटर कॉलेज के प्रांगण में होने वाले इस ‘संस्कृति पर्व’ में देश-विदेश के विद्वान, कलाकार और भोजपुरी प्रेमी एक मंच पर जुटेंगे।
लोकगायन से लेकर मुशायरा तक, होगा रंगारंग आयोजन
आयोजन का शुभारंभ दिल्ली से पहुंचने वाले सांसद और लोकप्रिय गायक-अभिनेता मनोज तिवारी ‘मृदुल’ करेंगे। पहले दिन ‘लोकरंग’ कार्यक्रम में कल्पना पटवारी, भरत शर्मा व्यास, शिल्पी राज जैसे लोक गायकों की मधुर प्रस्तुतियां होंगी।
दूसरे दिन बौद्धिक विमर्श और कवि सम्मेलन की धूम रहेगी। जहां डॉ. कमलेश राय, भालचंद्र त्रिपाठी, शबीना अदीब, अफ़ज़ल इलाहाबादी समेत दर्जनों कवि-शायर शामिल होंगे। वर्चुअल रूप से हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्र भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
भोजपुरी संस्कृत की ही वैज्ञानिक बेटी है
आयोजन के संयोजक और विश्व भोजपुरी सम्मेलन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सिद्धार्थ मणि त्रिपाठी ने बताया कि यह सम्मेलन भोजपुरी की समृद्ध विरासत को पहचान दिलाने का प्रयास है। उन्होंने जोर देकर कहा, भोजपुरी संस्कृत से ही निकली है और उसी की तरह एक वैज्ञानिक भाषा है। इसमें लगभग 761 मूल धातुएं हैं और हर क्रिया के लिए अलग, सटीक शब्द हैं।
1000 साल से भी पुरानी है भोजपुरी की जड़ें
त्रिपाठी ने बताया कि भोजपुरी का इतिहास सातवीं सदी से शुरू होता है। गुरु गोरखनाथ ने 1100 ईस्वी में गोरखबानी की रचना भोजपुरी में ही की थी। आज लगभग 30 करोड़ लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं, जो इसे भारत की ही नहीं, दुनिया की एक प्रमुख सांस्कृतिक भाषा बनाती है।
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लोक संस्कृति की रक्षा का संकल्प
सम्मेलन में भोजपुरी में बढ़ रहे अश्लील साहित्य और गीतों पर भी गंभीर चर्चा होगी। त्रिपाठी ने कहा, हम भोजपुरी की मूल मधुरता और संस्कारों वाली थाती को बचाने के उपाय तलाशेंगे। इस मौके पर एक विशेष स्मारिका भी जारी की जाएगी, जो भोजपुरी भाषा का एक ऐतिहासिक दस्तावेज बनेगी।
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