देवरिया: यूपी विधानसभा का मतदान समाप्त हो चुका है। अब सबकी निगाहें 10 मार्च को आने वाले चुनाव नतीजों पर टिकी हुई हैं। ऐसे में देवरिया जनपद की विधानसभा सीटों का चर्चा करना यहां लाजिमी हो जाता है, क्योंकि इस जिले की हर सीट का अपना अलग इतिहास रहा है। यहां की कुछ सीटों पर सपा तो कुछ सीटें कांग्रेस की गढ़ रही हैं। हालांकि वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां के सारे सियासी समीकरण को उलट दिया था। मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद भी बीजेपी के हाथ से भाटपाररानी एक सीट निकल गई थी। सपा प्रत्याशी आशुतोष उपाध्याय ने बीजेपी सांसद रविंद्र कुशवाहा के छोटे भाई जयनाथ कुशवाहा को 11 हजार वोटों के अंतर से हराया था। यहां यूपी विधानसभा चुनाव के छठे चरण 3 मार्च को मतदान संपन्न हुआ था।

336- रुद्रपुर विधानसभा

यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से देवरिया जिले की रुद्रपुर सीट 336वें नंबर पर आती है। यह सीट बांसगांव लोकसभा क्षेत्र से आती है। वर्ष 2017 में इस सीट पर बीजेपी की जीत हुई थी। बीजेपी समर्थित सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से प्रत्याशी जय प्रकाश निषाद यहां से विधायक चुने गए थे। उन्‍होंने कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह को 26,789 वोटों से हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था।

कौन-कौन है प्रत्‍याशी

बीजेपी+: जय प्रकाश निषाद
सपा+: राम भुआल निषाद
बसपा: सुरेश कुमार तिवारी
कांग्रेस: अखिलेश प्रताप सिंह

यह सीट निषद बाहुल्य है, इस सीट पर निषाद मतदाताओं का वर्चस्व है। इसके साथ ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, दलित, यादव भी यहां प्रमुख रूप से हैं। हालांकि यह क्षेत्र अभी भी पिछड़े इलाकों में आता है। यहां रोजगार का घोर अभाव है।
कुल मतदाता- 2,93,183 (2017 में)

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337- देवरिया सदर विधानसभा सीट

देवरिया सदर विधानसभा सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा रहा है। बीजेपी इसबार भी इस सीट पर कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगा चुकी है। वर्ष 2017 में बीजेपी के जन्मेजय सिंह यहां से विधायक चुने गए थे। उन्होंने सपा प्रत्याशी जयप्रकाश को 46 हजार 236 मतों से हराया था। वर्ष 2020 में जनमेजय सिंह के निधन पर इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें बीजेपी के ही सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी विधायक चुने गए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के जन्मेजय सिंह यहां से जीते थे। वर्ष 2007 में सपा के दीनानाथ कुशवाहा और 2002 में निर्दलीय दीनानाथ कुशवाहा यहां से विधायक चुने गए थे। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां 56.53 प्रतिशत मतदान हुआ था। बीजेपी ने इस बार के चुनाव में यहां से शलभ मणि त्रिपाठी, सपा ने अजय प्रताप सिंह, बसपा ने रामशरण सिंह और कांग्रेस ने पुरुषोत्तम नारायण सिंह को मैदान में उतारा है। देवरिया सदर विधानसभा सीट पर करीब तीन लाख 24 हजार 208 मतदाता हैं।

338- पथरदेवा विधानसभा सीट

देवरिया जिले की पथरदेवा सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही 2017 के चुनाव में यहां से विधायक चुने गए थे, उन्होंने सपा प्रत्याशी शाकिल अली को 42 हजार 997 वोटों से हराया था। इस सीट पर 60.31 फीसदी वोटिंग हुई थी। लेकिन इस बार बीजेपी यह सीट फंसती नजर आ रही है। सपा ने यहां से ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। ब्रह्माशंकर त्रिपाठी के यहां अपने कोर वोटर हैं। वर्ष 2012 में भी इस सीट पर सपा का कब्जा रहा था। इसबार बसपा से परवेज आलम और कांग्रेस से अंबर मैदान में हैं। पथरदेवा विधानसभा में कुल 3,35,755 मतदाता हैं।

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339- रामपुर कारखाना विधानसभा

देवरिया जिले की रामपुर कारखाना विधानसभा सीट 339वें नंबर पर आती है। यहां तीन चुनाव (दो लोकसभा, एक विधानसभा) में बीजेपी सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली पार्टी बन गई है। वर्तमान समय में यहां बीजेपी से कमलेश शुक्ला विधायक हैं।

कौन-कौन है प्रत्‍याशी

बीजेपी+: सुरेंद्र चौरसिया
सपा+: गजाला लारी
बसपा: पुष्पा शाही
कांग्रेस: शेहला अहरारी
आप: कौशल किशोर मणि

सियासी इतिहास

वर्ष 2012 में सपा से गजाला लहरी यहां से चुनाव जीती थीं। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कमलेश शुक्ला ने सपा प्रत्याशी फासिहा मंजर को 9,987 वोटों से हराया था। इस सीट पर 58.59 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस सीट पर सबसे अधिक 53.8 प्रतिशत वोट हासिल हुए जबकि बसपा उम्‍मीदवार को लगभग 38 फीसदी वोट मिले थे। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में भी बीजेपी को 51.39 प्रतिशत वोट हासिल हुए और बसपा 23.19 प्रतिशत वोट मिले। आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 28 हजार 341 है।

340- भाटपार रानी विधानसभा

देवरिया जिले के भाटपार रानी विधानसभा सीट की अलग कहानी है। यहां भारतीय जनता पार्टी को अभी तक जीत नहीं मिल सकी है। इस सीट पर शुरू से ही दो परिवारों का वर्चस्व रहा है। इस सीट पर अब तक 18 बार हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो 4 बार पूर्व सांसद हरिवंश सहाय और 7 बार से पूर्व मंत्री कामेश्वर उपाध्याय एवं उनके परिजनों का कब्जा है। वर्ष 2017 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद सपा प्रत्याशी आशुतोष उपाध्याय ने बीजेपी सांसद रविंद्र कुशवाहा के छोटे भाई जयनाथ कुशवाहा को 11 हजार वोटों से हराया था। पिछली बार यहां 57.48 प्रतिशत मतदान हुआ था। यहां कुला मतदाताओं की संख्या 3,15,706 है।

कौन कौन है उम्‍मीदवार

बीजेपी+: शंभु कुंवर कुशवाह
सपा+: आशुतोष उपाध्याय
बसपा: अजय कुशवाहा
कांग्रेस: केशव चंद यादव
आप: अनिल कुमार पाण्डेय

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341- सलेमपुर विधानसभा सीट

देवरिया जिले की सलेमपुर सुरक्षित विधानसभा सीट पर बीजेपी और सपा प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। वर्तमान में यहां से बीजेपी के कालीचरण प्रसाद उर्फ काली प्रसाद विधायक हैं। उन्होंने वर्ष 2017 में सपा प्रत्याशी विजय लक्ष्मी गौतम को 25 हजार 654 मतों के अंतर से हराया था। सलेमपुर सीट पर 52.55 प्रतिशत मतदान हुआ था। इससे पहले वर्ष 2012 में सपा के मनबोध प्रसाद, 2007 में सपा और 2002 में बसपा के टिकट पर गजारा लारी, 1996 में बसपा के मुराद लारी, 1993 में बसपा के आनंद यादव विधायक चुने गए। बीजेपी ने इस बार प्रत्याशी बदलते हुए यहां से विजय लक्ष्मी गौतम को प्रत्याशी बनाया है। वहीं सपा से मनबोध प्रसाद, बसपा से राजेश भारती और कांग्रेस से दुलारा देवी मैदान में हैं। वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 309089 मतदाता हैं।

342- बरहज सीट का इतिहास

देवरिया जिले की बरहज विधानसभा सीट का अलग इतिहास रहा है। इस सीट पर दल बदलकर जीत हासिल करने के लिए मुरली मनोहर जायसवाल का अपना इतिहास रहा है। हालांकि वर्ष 2017 के चुनाव में मोदी की आंधी में मुरली मनोहर जायसवाल को भी हार का मुंह देखना पड़ गया। वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के सुरेश तिवारी विधायक हैं। उन्होंने वर्ष 2017 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी मुरली मनोहर जायसवाल को 61,996 मतों से हराया था। यहां 57.62 प्रतिशत मतदान हुआ था। इससे पहले वर्ष 2012 में इस सीट पर सपा का कब्जा रहा। यहां से प्रेम प्रकाश सिंह विधायक चुने गए थे। बीजेपी ने इस बार दीपक मिश्र, सपा ने मुरली मनोहर जायसवाल, बसपा ने विनय तिवारी और कांग्रेस ने रामजी गिरी को प्रत्याशी बनाया है। 2017 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 2,92,657 मतदाता हैं।

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