प्रकाश सिंह
गोंडा: सच ही कहा जाता है कि भारत में नियम-कानून तोड़ने के लिए बनते हैं। भारतीय कानून का पालन करने की जगह उसे तोड़ने में अपनी शान समझते हैं। शायद यही वजह रही कि कोरोना के खतरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने व मास्क लगाने के लिए पुलिस लगानी पड़ गई। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इतनी मौतों के बावजूद कुछ लोग अभी भी वैक्सीन न लगवाने, बिना मास्क के घूमने में अपनी शान समझ रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लागू आदर्श आचार संहिता की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रशासन की सक्रियता के बावजूद भी पार्टी की झंडी लगी गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती दिख जाती हैं। गोंडा जनपद के कटहा घाट से जेल रोड के बीच आचार संहिता की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मजे की बात यह है सड़क के किनारे लगे पोल से पार्टी का प्रचाार किया जा रहा है और प्रशासनिक अमले को इसकी भनक तक नहीं है।
जानकारी के मुताबिक कटहा घाट से जेल रोड के बीच में सड़क के किनारे लगे विद्युत पोल के जरिए विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह के बेटे सूरज सिंह का चुनाव प्रचार किया जा रहा है। पोल को पेंट करके सपा का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन की नजर इस पर नहीं पड़ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन जानबूझ कर इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। क्योंकि पंडित सिंह का क्षेत्र में जो दबदबा रहा है उससे न सिर्फ यहां के नागरिक खौफ खाते हैं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों पर इसका रौब साफ दिखाई देता है।
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गौरतलब है कि चुनाव के दौरान आचार संहिता लगते ही प्रशासन जहां इसके पालन कराने को लेकर सतर्क हो जाता है, वहीं राजनीति पार्टियों और उनके समर्थकों की तरफ से इसका उल्लंघन करने में अपनी शान समझी जाती है। इसका उल्लंघन वे लोग करते हैं, जिनका लोग अनुसरण करते हैं। हाल के दिनों में स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा में शामिल कराने के दौरान आदर्श आचाार संहिता और कोरोना प्रोटोकाल की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं, जिसका संज्ञान लेकर चुनाव आयोग ने सपा के कई नेतों पर मुकदमा भी दर्ज कराया है। वहीं कैरान में लोगों से मिलने पहुंचे केंद्रीय अमित शाह की तरफ से बिना मास्क के घूमे जाने पर विवाद शुरू हो गया है।
निष्प्रभावी होता है मुकदमा इसीलिए उड़ती हैं धज्जियां
कानून के जानकारों की मानें तो आचार संहिता उल्लंघन के मामले में दर्ज मुकदमों में कोई कड़ी कार्रवाई न होने की वजह से लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के नेताओं पर कई मुकदमे दर्ज होते हैं और चुनाव खत्म होने के बाद ये मुकदमे कब खत्म हो जाते हैं, किसी को पता नहीं चलता। कानूनविदों का मानना है कि आचार संहिता उल्लंघन के शायद ही कोई मामला हो जिसमें किसी को सजा हुई हो वरना सरकार बनते ही मुकदमे वापस ले लिए जाते हैं।
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