प्रकाश सिंह
बस्ती: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Elections 2022) की तारीखों के एलान के बाद राज्य में सियासी सरगर्मी काफी बढ़ गई है। नेता जहां सुरक्षित सीट हासिल करने के लिए किसी भी दल का दामन थामने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं, वहीं पार्टी से जुड़े जमीनी कार्यकर्ता व नेता एकबार फिर हाशिए पर चले गए हैं। भाजपा में नेताओं की जहां भगदड़ देखी जा रही है, वहीं टिकट की दावेदारी की जबरदस्त होड़ भी दिखाई दे रही है। बस्ती जनपद के कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र (Kaptanganj Assembly Constituency) में भाजपा की तरफ से ऐसे टिकट के दावेदार घूम रहे हैं, जिन्हें क्षेत्रिय जनता जानती पहचानती तक नहीं है। वहीं चर्चित चेहरों में वर्तमान विधायक बीजेपी सीपी शुक्ल, राना कृष्ण किंकर सिंह, दिग्विजय सिंह ‘राना’ का नाम सबसे आगे है।
बताया जा रहा है कि वर्तमान विधायक के कामकाज से क्षेत्रीय जनता काफी नाखुश है। ऐसे में अगर भाजपा उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाती है, तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है। वहीं राना कृष्ण किंकर सिंह का क्षेत्र में अपना अलग वर्चस्व रहा है। वह पहले भी इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। लेकिन कई राजनीतिक दलों का सफर करने के चलते जनता का विश्वास उन पर डिग नहीं रहा है। जबकि दिग्विजय सिंह ‘राना’ का नाम प्रखर हिंदुत्वादी चेहरे के रूप में जाना जाता है। अपने हिंदुत्ववादी छवि के चलते वह जिला पंचायत सदस्य का दो बार चुनाव भी जीत चुके हैं।
दिग्विजय सिंह ‘राना’ पहली बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव अपने हिंदुत्ववादी चेहरे पर लड़ा था और भारी बहुमत से जीत भी हासिल की थी। पंचायत चुनाव 2021 में महिला आरक्षित सीट होने की वजह से उन्होंने अपनी पत्नी अमृता सिंह को जिला पंचायत सदस्य के लिए मैदान में उतारा और जीत दर्ज की। हालांकि इस बार भाजपा का उन्हें समर्थन प्राप्त हुआ था। दिग्विजय सिंह ‘राना’ की हिंदुत्वादी और जनसमस्याओं को लेकर संघर्ष करने की आदत उन्हें जनता के बीच काफी लोकप्रिय बनाती है।
शायद यही वजह है कि कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता की तरफ से उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की मांग हो रही है। जनता की मांग और विश्वास के चलते दिग्विजय सिंह ‘राना’ भी विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। उनका कहना है कि अगर भारतीय जनता पार्टी उन पर विश्वास जताते हुए टिकट देगी, तो वह जनता के आशीर्वाद से उस विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।
हालांकि चुनाव करीब आते ही कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से कई ऐसे चेहरे भी भाजपा की तरफ से टिकट की दावेदारी करने में लगे हुए हैं, जिन्हें क्षेत्र की जनता ही नहीं जानती। कुछ ऐसे चेहरे हैं, जो नेता कम, व्यापारी ज्यादा हैं। वह क्षेत्र से ज्यादा कारोबार के सिलसिले में दिल्ली-मुंबई में रहते हैं। चुनावी सीजन में ऐसे नेता भी क्षेत्र में भ्रमणकर खुद को बीजेपी का भावी प्रत्याशी बताने की कोशिश कर रहे हैं। गरीबों व जरूरतमंदों में कंबल आदि बांटकर यह जताने की कोशिश कर रहे हैं, कि वही उनके सच्चे हितैषी हैं। आलम यह है कि ऐसे नेताओं के क्षेत्र से जाने के बाद जनता में यह चर्चा होने लगती है, कि फलां नेता कहां का है?
फिलहाल प्रत्याशियों के चयन को लेकर दिल्ली में भाजपा नेताओं की बैठक लगातार जारी है। माना जा रहा है 15 जनवरी तक उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए जाएंगे। फिलहाल पैसा बोलता है, टिकट दावेदारी से लेकर वोट मिलने तक पैसों का खेल होता है। शायद यही वजह है कि निष्ठावान कार्यकर्ताओं को न तो जल्द टिकट मिलता है और न ही चुनाव में जीत। ऐसे में दिग्विजय सिंह ‘राना’ को जिस तरह जनता का समर्थन अब तक मिलता रहा है, उससे यह साफ है कि पार्टी अगर उनपर दांव लगाती है, तो जीत सुनिश्चित है। यह देखना दिलचस्प होगा कि हिंदुत्वादी तमगा लेने वाली भाजपा पार्टी हिंदुत्वादी नेता को तरजीह देती है या फिर चुनावी नेता पर दांव लगाती है।
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