नई दिल्ली: गुजरात दंगे के दाग को जितना धुलने का प्रयास किया जा रहा है, यह उतना ही दागदार होता जा रहा है। इसे दंगे के पीछे कौन था, यह इसके पीछे राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों के सामने गौढ़ हो गया। हालांकि राज्य सरकार के साथ सर्वोच्च न्यायलय ने भी इसे दंगे को साजिश मानने से इनकार कर दिया है। वहीं इसे साजिश करार दिए जाने के पीछे की साजिश अब उजागर हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को गुजरात एटीएस की हिरासत में आते ही अब नई बहस छिड़ गई है। तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को मुंबई के सांताक्रूज पुलिस स्टेशन में पेश करने के बाद एटीएस अहमदाबाद लेकर रवाना हो चुकी है। बता दें कि सीतलवाड़ के खिलाफ एटीएस का यह ऐक्शन ऐसे समय में लिया गया है, जब एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा 2002 मामले में जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की जांच की और जरूरत बताई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि तीस्ता सीतलवाड़ ने अपने एनजीओ की मदद से गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी। बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ को एटीएस की तरफ से हिरासत में लेने का मामला उस घटना से संबंधित है जिसे 2002 में हुई गुजरात के गुलबर्ग सोसाइटी की घटना के रूप में जाना जाता है। इसमें एक ट्रेन के डिब्बे में आग लगने से कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोग की जान चली गई थी। इस घटना के एक दशक बाद 2012 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित एसआईटी (SIT) की रिपोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी मामले में “अभियोजन योग्य सबूत नहीं” का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं और अधिकारियों को दोषमुक्त कर दिया था। एसआईटी की इसी रिपोर्ट के खिलाफ एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी।
तीस्ता सीतलवाड़
तीस्ता सीतलवाड़ कौन हैं, गुजरात दंगे के बाद उनकी भूमिका क्या रही इसे जानने की कोशिश हर कोई कर रहा है। बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) नामक एनजीओ की सचिव हैं, जो वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों की वकालत करने के लिए बनाई गई एक संस्था है। सीजेपी सह-याचिकाकर्ता है जो वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में कथित संलिप्तता के लिए नरेंद्र मोदी और कई अन्य राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग कर रही है।
24 जून, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी को एसआईटी की तरफ से दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखते हुए कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने याचिकाकर्ता जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण “गलत उद्देश्यों” के लिए किया। इसलिए उनके खिलाफ और जांच की आवश्यकता है।
क्या हैं आरोप?
तीस्ता सीतलवाड़ा और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2007 से बड़े पैमाने पर धन संग्रह अभियान शुरू करके दंगा पीड़ितों के नाम पर 6 करोड़ रुपये से 7 करोड़ रुपये तक की धनराशि एकत्र करके धोखाधड़ी को अंजाम दिया। अदालत में यह आरोप लगाया गया था कि दान के माध्यम से जुटाए गए इन फंडों को युगल द्वारा शराब और विशिष्ट उपभोग के अन्य लेखों पर खर्च किया। इतना ही तीस्ता के खिलाफ एक और आरोप यह भी है कि उन्होंने विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन किया और वर्ष 2009 में यूएस-आधारित फोर्ड फाउंडेशन द्वारा अपने एनजीओ को दान किए गए धन का दुरुपयोग किया।
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बताते चलें कि गुजरात एटीएस ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ मुंबई स्थित सांताक्रूज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें उन पर आईपीसी की धारा 468 और 471 के तहत जालसाजी का आरोप लगाया गया है। एटीएस अधिकारी जैस्मीन रोजिया के मुताबिक तीस्ता सीतलवाड़ को सांताक्रूज पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। यहां कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें अहमदाबाद शहर के पुलिस थाने ले जाया जाएगा। एटीएस अधिकारी के अनुसार उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, केवल हिरासत में लिया गया है।
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