Poetry: मैं नहीं गिरा
पैदा होते ही माँ की कोख से गिरा घुटनों के बल चलते हुए गिरा दौड़ते हुए गिरा सड़क पर साइकिल चलाते हुए गिरा ग्यारहवीं में फेल होने पर समाज की…
पैदा होते ही माँ की कोख से गिरा घुटनों के बल चलते हुए गिरा दौड़ते हुए गिरा सड़क पर साइकिल चलाते हुए गिरा ग्यारहवीं में फेल होने पर समाज की…
तुम लाना तीन चार ब्रीफ़केस जिसमें भरे हो तुम्हारे बचपन के खिलौने बचपन के कपड़े बचपने की यादें मुझे तुम्हें जानना है बहुत प्रारंभ से… तुम लाना श्रृंगार के डिब्बे…
पहले मित्र बनो तुम अपने, सब जग के बन जाओगे। कदम जहाँ रखोगे जग में, अपनी प्रतिध्वनि पाओगे।। जो भी मिले प्रेरणा पाए, उत्साह उमंग से भर जाये। ले संकल्प…
प्रातः नमन करें हम उनको जिनसे जीवन की गति चलती। जिनके होने से हम जग में जिनसे कर्म शक्ति है फलती।। नमन नित्य हम प्रातः करते परम प्रभू फिर धरती…
बृजेंद्र खिल उठे हृदय का तंतु तंतु, जग उठें शीत में सुप्त जंतु। हँसती चहूं दिश होवे बयार, स्वागत को हो ऋतुराज द्वार।। जब रंगबिरंगी तितली बहकें, विविध भांति चिड़िया…