Pauranik Katha: असली अश्वमेघ यज्ञ

Pauranik Katha: महाभारत का एक प्रसंग हैं, अश्वमेध यज्ञ चल रहा था, बड़े-बड़े ॠषियों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी जा रही थी। कहतें हैं कि उस यज्ञ में बड़े-बड़े देवता…

Pauranik Katha: सुदर्शन चक्र की कैसे हुई उत्पत्ति

Pauranik Katha: सुदर्शन चक्र भगवान श्री हरि विष्णु जी का शस्त्र है। यह चक्र एक ऐसा शस्त्र है, जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुंच कर उसे भेद कर…

Pauranik Katha: भगवान श्रीकृष्ण, चंद्रमा और 16 कलाएं

Pauranik Katha: लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण ने चंद्रमा की 16 कलाओं से संयुक्त शरद पूर्णिमा की रात्रि को जिस महारास का आयोजन किया था, उपनिषद के मनीषी उसे अध्यात्म क्षेत्र की…

Pauranik Katha: मृत्युलोक का सबसे बड़ा सच

Pauranik Katha: गरुड़ जी को द्वार पर छोड़ कर श्री हरि विष्णु जी और योगमाया शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़…

Pauranik Katha: मधु व कैटभ की उत्तपत्ति एवं वध कैसे हुआ

Pauranik Katha: मार्कंडेय पुराण एवं श्री हरिवंश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार कल्पान्त में भगवान श्री विष्णु क्षीर सागर में शेष शैया पर योगनिद्रा में निमग्न थे। तभी उनके…

Pauranik Katha: प्रताप भानु कैसे बना रावण

Pauranik Katha: भगवान शिव पार्वती जी को बताते हैं कि एक समय कैकेय देश पर महान राजा सत्यकेतु का शासन था। इस राजा के दो पुत्र थे, प्रताप भानु और…

Pauranik Katha: देवी माँ ने किस प्रकार किया शुम्भ, निशुम्भ, चण्ड, मुण्ड और रक्तबीज का वध

Pauranik Katha: महामुनि मेधा ने राजा सुरथ और समाधि वैश्य को महा सरस्वती का चरित्र इस प्रकार सुनाया। प्राचीन काल में शुम्भ और निशुम्भ नामक दो परम पराक्रमी दैत्य उत्पन्न…

Kahani: सबसे कीमती उपहार

Kahani: राजा महेन्द्रनाथ हर वर्ष अपने राज्य में एक प्रतियोगिता का आयोजन करते थे, जिसमें हजारों की संख्या में प्रतियोगी भाग लिया करते थे और विजेता को पुरस्कार से सम्मानित…

Pauranik Katha: जीवन की तीन महत्वपूर्ण शिक्षाएं

Pauranik Katha: पं. श्रीशान्तनु बिहारी द्विवेदी (स्वामी श्री अखण्डानन्द सरस्वती) जब लौकिक कार्य वश घर से रवाना हो रहे थे, तो उनकी माता जी ने उन्हें तीन शिक्षाएं दीं। पहली-…

Pauranik Katha: होनी बहुत बलवान है, जन्मेजय सब जानकर नहीं बच पाए

Pauranik Katha: अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के पुत्र जन्मजेय राजा बने। एक दिन जन्मेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे। बातों ही बातों…

Other Story