Poetry: युद्ध विराम

कोशिश करो कि बस बच जाएं, इतनी सी भावनाएं। कि युद्ध की विभीषिका के बीच, जब चल रही हों दनादन गोलियां। तोपों से बरस रही हो आग, खंडहर में तब्दील…

Poetry: युद्ध विराम

कोशिश करो कि बस बच जाएं इतनी सी भावनाएं कि युद्ध की विभीषिका के बीच जब चल रही हों दनादन गोलियां तोपों से बरस रही हो आग खंडहर में तब्दील…

Other Story