Kavita: सच्चा समाजवाद
सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…
सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…
एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…
मम्मी अब कुरसी दिलवा दो। खड़े-खड़े मैं ऊब गया हूं, कड़ी धूप में सूख गया हूं। तुम तो हो हर फन में माहिर, सभी कलाओं में हो शातिर। तुम मेरी…
गॉड ये कैसा खेल हो गया, पप्पू फिर से फेल हो गया। खूब सिखाया, खूब पढ़ाया, तोते-जैसा उसे रटाया। इधर भेजकर, उधर भेजकर, जगह-जगह नाटक करवाया। फिर भी क्यों बेमेल…
हम थे गजब दीवाने, बस दीवाने रह गए, सिरहाने हुए लोग, हम पैताने रह गए। जब वक्त की धारा के साथ बह नहीं पाए, फेंका लहर ने दूर तो अनजाने…
कुसुम रंग चुनरी रंगा दे पियवा हे। लहंगा मंगा दे पिया, ओढ़नी मंगा दे, आरीआरी गोटवा चढ़ा दे पियवा हे। कुसुम रंग••• लहंगा ले अइबों लाल, ओढ़नी रंगइबों धानी, अंगियौ…