बारूदी धुएं में कराह रही मानवता के कल्याण के लिए उदघोष

विश्व संत्रस्त है। अनेक देश युद्ध की विभीषिका में हैं। मानवता कराह रही है। स्त्रियों, वृद्धों, मासूम बच्चों की लाशें गिनती से बाहर हैं। पश्चिम में बारूद ही बारूद है।…

युद्ध, संकट और शांति

सृष्टि की तीन अवस्थाएं। युद्ध, संकट और शांति। संतुलन का दायित्व हमारा और आपका है। इन तीनों की उपस्थिति रहेगी ही। संस्कृति और सभ्यता के साथ इनकी समता और विषमता…

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