टोक्यो ओलंपिक में बढ़ाएं भारतीय टीम का हौसला: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: भारतीय जन संचार संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘खेल सम्राट’ के ओलंपिक विशेषांक का विमोचन मंगलवार को संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी…

टोक्यो ओलंपिक: आईआईएमसी में सेल्फी प्वाइंट का शुभारंभ

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे खिलाड़ियों के समर्थन में सोमवार को भारतीय जन संचार संस्थान में सेल्फी प्वाइंट का उद्घाटन किया गया। आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो.…

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिले आईआईएमसी के महानिदेशक

नई दिल्ली: भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को संस्थान में चल…

भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को ‘मीडिया रत्न अवॉर्ड’

नई दिल्ली: भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को ‘मैं भारत हूं’ संस्था द्वारा एक ऑनलाइन कार्यक्रम में ‘मीडिया रत्न अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। समारोह में…

न्यू मीडिया में हैं कॅरियर की अपार संभावनाएं: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: ”वेबसाइट, मोबाइल एप और ओटीटी प्लेटफॉर्म में जिस तरह लोगों की रुचि बढ़ रही है, उसे देखकर ये कहा जा सकता है न्यू मीडिया ही वो क्षेत्र है,…

व्यक्ति नहीं, एक विचार हैं पं. युगल किशोर शुक्ल: प्रो. संजय द्विवेदी

नई दिल्ली: पं. युगल किशोर शुक्ल का पूरा जीवन हिंदी पत्रकारिता, भारतबोध और सामाजिक प्रतिबद्धताओं को समर्पित था। उन्होंने पत्रकारिता में मूल्यों को समझा था और लोक कल्याण और जनसरोकार…

ऑनलाइन कक्षाओं के लिए कितनी सहज है नई पीढ़ी

यह डिजीटल समय है,जहां सूचनाएं, संवेदनाएं, सपने-आकांक्षाएं, जिंदगी और यहां तक कि कक्षाएं भी डिजीटल हैं। इस कठिन कोरोना काल ने भारत को असल में डिजीटल इंडिया बना दिया है।…

पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए : आलोक मेहता

नई दिल्ली। ‘‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं, आपको अपने…

नए साल में कैलेंडर की तरह जिंदगी भी बदल जाए तो बेहतर

यह साल जा रहा है, बहुत सी कड़वी यादें देकर। कोरोना और उससे उपजे संकटों से बने बिंब और प्रतिबिंब आज भी आंखों में तैर रहे हैं और डरा रहे…

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