Sharad Pawar: महाराष्ट्र ही देश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले शरद पवार (Sharad Pawar) ने अचानक से एनसीपी से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है। उनका यह इस्तीफा अकारण नहीं हो सकता, क्योंकि राजनीति में दूर की गोटी खेलने वाले अचानक से यह फैसला बिना किसी तैयारी के नहीं लिया होगा। शरद पवार (Sharad Pawar) राज्य ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाते आए हैं। वह 63 वर्ष से देश की राजनीति में सक्रिय हैं। ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद यह कयासबाजी तेज हो गई है कि एनसीपी (NCP) का नया मुखिया कौन होगा? नए मुखिया के नाम पर फैसला होना अभी बाकी है। वहीं लोग यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं शरद पवार (Sharad Pawar) का राजनीतिक कॅरियर कैसा रहा और वह कितने अमीर हैं।
वर्ष 2020 में राज्यसभा चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करने के समय शरद पवार ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था, उसमें उनकी संपत्ति 32.73 करोड़ रुपये की थी।
शरद पवार की संपत्ति
– वर्ष 2020 में उनके पास 25,21,33,329 रुपये की चल संपत्ति थी।
– शरद पवार ने हलफनामें में बताया गया था कि उनके पास 7,52,33,941 रुपये की अचल संपत्ति है।
– इसके साथ ही उन्होंने हलफनामें में कर्ज का भी ब्योरा दिया था. पवार और उनके परिवार के ऊपर उस समय एक करोड़ रुपये का कर्ज था।
– 2020 में शरद पवार के परिवार के पास कुल 88 लाख रुपये के सोने-चांदी के गहने थे। जिसकी कीमत अब और बढ़ गई है।
-शरद पवार के पास Toyota Land Cruiser और Luxus LX 570 कार भी है।
-Toyota Land Cruiser की कीमत करीब 1.30 करोड़ रुपये है और Luxus LX 570 की कीमत करीब 2.40 करोड़ रुपये है।
शरद पवार की गिनती महाराष्ट्र और देश की राजनीति में मझे राजनीतिज्ञों में होती है। छात्र राजनीति से सियासत में आए शरद पवार पांच दशक से अधिक राजनीतिक में सक्रिय रहे। वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है। शरद पवार वह नाम है जो कई बार राजनीति का रुख मोड़कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में सफल रहे।
शरद पवार का सियासी कॅरियर
वर्ष 1956 में शरद पवार ने महाराष्ट्र के प्रवरनगर में गोवा की स्वतंत्रता के लिए एक विरोध मार्च का आह्वान किया था। इसके बाद वह वर्ष 1958 में यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस पार्टी के लिए अपने समर्थन का प्रदर्शन किया। युवा कांग्रेस में शामिल होने के चार वर्ष बाद, पवार वर्ष 1962 में पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने। शरद पवार ने महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में प्रमुख पदों पर रहे और धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बना ली।
27 वर्ष की उम्र में शरद पवार वर्ष 1967 में जब पवार 27 साल के थे, तब वह महाराष्ट्र के बारामती निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव जीत कर विधायक चुन लिए गए। वह कांग्रेस पार्टी से विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद शरद पवार दशकों तक बारामती निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे। उन्होंने महाराष्ट्र में सूखे से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया और सहकारी चीनी मिलों और अन्य सहकारी समितियों की राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई।
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38 वर्ष की उम्र में शरद पवार ने जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने के लिए कांग्रेस (यू) छोड़ दी और इसी के साथ ही वर्ष 1978 में शरद पवार महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। लेकिन, 1980 में इंदिरा गांधी की केंद्र की सत्ता में वापसी के बाद, प्रगतिशील लोकतांत्रिक फ्रंट (पीडीएफ) सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
वर्ष 1983 में शरद पवार कांग्रेस (आई) के अध्यक्ष बने और 1984 में वह बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1985 में जब शरद पवार फिर से बारामती विधानसभा क्षेत्र से जीते, तो वह महाराष्ट्र की राज्य की राजनीति में शामिल होने का निर्णय लिया। विपक्षी गठबंधन पीडीएफ के नेता चुने जाने के बाद उन्होंने लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
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