संजय तिवारी
संजय तिवारी

Sanatan Ke Mahanayak: विश्व के सबसे प्राचीन और सबसे बड़े लोकतंत्र का उत्सव समाप्त। घात, प्रतिघात, यात्रा, साजिश, वाक्युद्ध, देसी-विदेशी षड्यंत्र और लोक मंगल की पवित्र कामनाएं भी। ईवीएम सो गई। लोकतंत्र जग गया। रायसीना हिल के विशाल प्रांगण से विश्व को नए भारत की संकल्प शक्ति के दर्शन हुए। सनातन भारत के महानायक का नवोन्मेषी स्वरूप दिखा। खुरासानी साजिशों को प्रतिपल विफल करता चाणक्य दिखा। सशक्त भारत की शानदार पताका लहराती दिखी। भारत और भी मजबूत होकर विश्व को नए संदेश के साथ उभर कर सामने आया। नरेंद्र दामोदर दास मोदी का नायकत्व, अमित शाह की रणनीति संयुक्त स्वरूप में अनेक संदेश प्रसारित कर रहे।

इस बार कई स्थापित भ्रम भी टूटे। देसी, विदेशी भारत विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब मिल गया। यह भ्रम भी समाप्त हो गया कि दिल्ली का रास्ता केवल उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। जनादेश ने संदेश दे दिया कि उत्तर प्रदेश की अहमियत केवल उतनी ही है जितनी मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीस गढ़ या अन्य राज्यों की। उत्तर प्रदेश को इस भ्रम पर अब नए सिरे से विचार करना होगा। उतर प्रदेश को खास तौर पर इस बात पर भी विचार करना होगा कि यदि चुनाव परिणाम के समय तंत्र के पास हिंसा के इनपुट मिले थे तो उसी तंत्र को यह क्यों नहीं पता चल सका कि काशी में नरेंद्र मोदी और लखनऊ में राजनाथ सिंह जैसे नायक पराजय की कगार पर थे। अयोध्या की पराजय की कहानी तो अलग समीकरण दिखा रही लेकिन काशी? आखिर उत्तर प्रदेश के उसी तंत्र को इसकी जानकारी क्या वास्तव में नहीं थी?

 

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अभी तो उत्सव समाप्त हुआ है। विश्लेषण अब शुरू होंगे। लेकिन यह बड़ी सच्चाई है कि भारत और भाजपा के युग चाणक्य के रूप में समर्पित अमित शाह की उपस्थिति ने सब को माकूल जवाब भी दिया और एक बड़ी पराजय से उबारने में भी सफल रहे। परिणाम आने के बाद से लगाए जाने वाले ऊल जूलूल कयासों पर भी उन्होंने बहुत सलीके से विराम लगा दिया। सनातन भारत के महानायक नरेंद्र दामोदर दास मोदी को अब विश्व और भी मजबूत संकल्प शक्ति वाले महान नेता के रूप में देख रहा है। यह निश्चित तौर पर भारत के चाणक्य की नीति के क्रियान्वयन का ही परिणाम है। सनातन भारत के महानायक के इस विजय पथ में कोई बाधा कारगर होगी ही नहीं। यह सनातन संकल्प ही है। आने वाले दिनों में विश्व इसका साक्षी बनने जा रहा है।

 

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यह चुनाव कई मायनों में अलग रहा है। केरल से अरूणांचल तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक पैन इंडिया या कहें कि अखंड भारतीय रणनीति के साथ एक रणनीतिकार की सघन उपस्थिति के रूप में अमित शाह की स्थापना को इस महाविजय का श्रेय मिलना ही चाहिए। स्वयं को परदे के पीछे रख कर अपने महानायक को और भी तेजस्विता के साथ स्थापित करने की उनकी नीति अद्भुत है। महत्वपूर्ण तो यह है कि भीतर और बाहर की हरेक साजिश, प्रत्येक षड्यंत्र को समय रहते समझ लेना और उसका समाधान निकाल लेना उनकी अद्भुत शैली है जिसे देश स्वीकार भी कर रहा है और बच्चे बच्चे की जबान पर उनकी उपस्थिति मात्र से निश्चिंतता का भाव भी प्रकट होता है। हर खुरासानी साजिश का मुंहतोड़ जवाब ही अमित शाह की पहचान है।

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नए भारत की नई यात्रा शुरू हो चुकी है। महामहिम राष्ट्रपति की मातृ स्वरूप दधि प्रसाद ने भारत को विश्वगुरु के मार्ग पर अपने महानायक की यात्रा को आगे बढ़ा दिया है। यह यात्रा अब विश्व के लिए भारत के नेतृत्व की है जिसे पूरी होनी है। विश्व भी प्रतीक्षा ही कर रहा है।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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