Shyam Kumar
श्याम कुमार

Samvidhan Hatya Diwas: एक चालाक चोर ने पकड़े जाने से बचने के लिए स्वयं ‘चोर-चोर’ चिल्लाना शुरू कर दिया था, ताकि चोर को पकड़ने के लिए लोगों का ध्यान उसकी ओर से हटकर दूसरे लोगों की ओर चला जाए। लोकसभा के विगत चुनाव में कांग्रेस पार्टी (Congress) ने यही कारनामा किया। उसने जब देखा कि जनता ‘अबकी बार चार सौ पार’ के नारे से प्रभावित होकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को भारी बहुमत प्रदान करने जा रही है तो उसने झूठ का सहारा लिया और सफलतापूर्वक यह अफवाह फैला दी कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) इस बार सत्ता में आने पर संविधान को बदल देगी तथा आरक्षण को समाप्त कर देगी।

अंग्रेज की कोख से हुआ Congress का जन्म

झूठ और तिकड़म में कांग्रेस (Congress) को महारत हासिल रही है। सरदार पटेल के महाप्रयाण के बाद जब कांग्रेस (Congress) का नेतृत्व नेहरू वंश के हाथ में आया तो उसने झूठ और तिकड़म का सहारा लेकर ही देश पर अपना वर्चस्व बनाए रखा तथा झूठ-फरेब, तिकड़म, भ्रष्टाचार, घोटालों आदि के सहारे देश को लूटने में कामयाब होती रही। वैसे तो कांग्रेस का जन्म अंग्रेज की कोख से भारत में ब्रिटिश राज को मजबूत बनाने के उद्देश्य से हुआ था, किन्तु बाद में लोकमान्य तिलक आदि का सान्निध्य प्राप्त कर उसका रूप राष्ट्रवादी हुआ। किन्तु सरदार पटेल के महाप्रयाण के बाद जब राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि परम राष्ट्रवादी विभूतियों का भी निधन हो गया तो कांग्रेस पर जवाहरलाल नेहरू का वर्चस्व स्थापित हुआ और फिर धीरे-धीरे नेहरू वंश ने तिकड़मों द्वारा कांग्रेस पार्टी को अपना गुलाम बना लिया। सोनिया गांधी ने कांग्रेस में मोदी को गाली देने की परिपाटी शुरू की, जिसके महाउद्घोषक राहुल गांधी हो गए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की भ्रष्टाचार एवं घोटालों वाली छवि को ओझल करने के लिए मोदी को ‘चोर’ घोषित करना शुरू कर दिया।

नेहरू वंश का स्वार्थ सिद्धि का रहा है इतिहास

नेहरू वंश का पूरा इतिहास अपनी स्वार्थसिद्ध के लिए भारत के संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का रहा है, जिसकी पराकाष्ठा तब हुई, जब भ्रष्टाचार के आरोप में इंदिरा गांधी का लोकसभा के लिए चुनाव इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया। तब इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए देश पर इमरजेंसी थोपकर संविधान को तहस-नहस कर डाला था तथा उसमें अवैध रूप से तमाम मनमानी व्यवस्थाएं कर दी थीं। ‘कमिटेड (समर्थक) जुडीशियरी’ एवं ‘कमिटेड ब्यूरोक्रेसी’ के नारे द्वारा इन दोनों अतिमहत्वपूर्ण संस्थाओं को अपना गुलाम बना लिया गया था। जो सर्वोच्च न्यायालय आज मोदी के समय में दहाड़ा करता है, इंदिरा गांधी के समय में उसकी घिग्घी बंधी रहने लगी थी। जनता से उसके जीवित रहने का मूलभूत अधिकार छीन लिया गया था।

Samvidhan Hatya Diwas

संविधान के मूल चरित्र पर किया प्रहार

संविधान के मूल चरित्र में परिवर्तन नहीं किया जा सकता, लेकिन इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘सेकुलर’ एवं ‘समाजवाद’ शब्द जोड़कर उसके मूलचरित्र पर प्रहार कर दिया था। पूरा देश कारागार की तरह हो गया था तथा इंदिरा गांधी की आलोचना करने वालों को जेल में ठूंस दिया जाता था। मल्लिकार्जुन खड़गे एवं अन्य कुछ कांग्रेसी नेता इन दिनों जिस तरह मोदी सरकार पर ऊटपटांग गलत आरोप लगाते हैं एवं अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, साथ ही ऐसा करते हुए उलटा मोदी सरकार पर आरोप लगाते हैं कि उसके शासनकाल में रोज इमरजेंसी लगी रहती है। इंदिरा गांधी के समय ऐसे आरोपों की कल्पना नहीं की जा सकती थी। उस समय तो लोग घर के भीतर भी इंदिरा गांधी की आलोचना करने से डरते थे। पत्रकारिता को पूरी तरह बंधक बना लिया गया था।

इंदिरा गांधी के प्रति उदारता की नीति अपनाई

इंदिरा गांधी तो अपनी सत्ता को स्थायी रूप देने जा रही थीं। वह तो उनके आतंक के कारण उनकी चाटुकारी में खुफिया विभाग ने उन्हें यह जानकारी दी कि देश में इस समय चुनाव होने पर वह भारी बहुमत से विजयी होंगी। उसी गलतफहमी में इंदिरा गांधी ने वर्ष 1977 में लोकसभा का चुनाव करा दिया, जिसमें उनकी ऐतिहासिक पराजय हुई और जनता पार्टी की सरकार बनी। होना तो यह चाहिए था कि वर्ष 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार सत्तारूढ़ हुई, उसी समय वह 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाए जाने की घोषणा कर देती। लेकिन जनता पार्टी का प्रमुख घटक जनसंघ था, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी के रूप में परिवर्तित हो गया। उसे शुरू से उदारता का रोग रहा है। इसीलिए जनता पार्टी ने इमरजेंसी की सूत्रधार इंदिरा गांधी के प्रति उदारता की नीति अपनाई, जिसके परिणामस्वरूप प्रपंच रचकर वह तिकड़म से वह पुनः सत्तारूढ़ होने में सफल हो गई थीं।

पीएम मोदी को खोलनी चाहिए कांग्रेस की पोलपट्टी

तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार को चाहिए था कि परिवर्तित किए गए संविधान के आधार पर ही इंदिरा गांधी को कठोरतम दंड देती, जिसके बाद संविधान में इंदिरा गांधी द्वारा किए गए संशोधनों को समाप्त करती। कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में पाखण्ड, झूठ, अफवाह एवं जातिवाद का सहारा लेने के बावजूद केंद्र की सत्ता प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाई, भले ही उसकी सीटों में वृद्धि हुई। मोदी सरकार को चाहिए कि कांग्रेस के आडम्बरों की पूरी तरह बखिया उधेड़कर रख दे। इसके लिए मोदी को ‘लोहा लोहे से कटेगा, लकड़ी से नहीं’ की नीति अपनाकर कांग्रेस की सारी पोलपट्टी जनता के सामने खोलनी चाहिए।

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नेहरू वंश के नेतृत्व वाली कांग्रेस देश के लिए कितनी घातक है, इसका पूरा चिट्ठा योजनाबद्ध रूप में जनता के सामने रखा जाना चाहिए। इमरजेंसी के अत्याचार पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाए जाने चाहिए। श्रेष्ठ फिल्म-निर्माताओं को मदद देकर इमरजेंसी के दिल दहलाने वाले अत्याचारों पर विराट फिल्म का निर्माण होना चाहिए, जिसका हर मुहल्ले-कस्बे तथा देश के कोने-कोने में निःशुल्क प्रदर्शन होना चाहिए। अन्य तमाम माध्यमों से भी जनता को इमरजेंसी के अत्याचार बताने चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उदारता का रोग है। अन्यथा मोदी यदि शुरू से कड़ाई करते और कांग्रेस एवं नेहरू वंश के सारे कुकर्म जनता के सामने विस्तार से रख दिए जाते तो देश का राजनीतिक वातावरण पहले ही शुद्ध हो जाता। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को भी आगे बढ़कर मोर्चा संभालना चाहिए तथा देश की राजनीति में देशद्रोह को जो संरक्षण मिल रहा है, उसे समाप्त करना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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