प्रकाश सिंह
बरेली: अपराध और अपराधियों की गठजोड़ के चलते वर्ष 2017 में सत्ता से बेदखल होने वाली समाजवादी पार्टी का अपराधियों से मोह अभी भी बना हुआ है। भाजपा का यह तर्क जितना बड़ा अपराधी, उतना बड़ा समाजवादी। सपा ने नाहिद हसन, शिवचरन कश्यप आदि को पार्टी में अहमियत देकर यह साबित कर चुकी है कि यह नई नहीं बल्कि वही सपा है, जिसकी पहचान गुंडों की पार्टी से होती है। ऐसा भाजपा की तरफ से कहा जा रहा है। फिलहाल सपा पर ये अरोप अकारण नहीं लग रहे है, बल्कि पार्टी के चरित्र में यही है। यह अपराधियों की लंबी फेहरिस्त है। दाग किसी पर भी अच्छे नहीं लगते, लेकिन जब दागियों की भरमार हो तो अच्छे लगने लगते हैं। कोई भी दल ऐसा नहीं है, जिसमें अपराधी न हों। लेकिन अपराध की जो पराकाष्ठा समाजवादी पार्टी में देखने को मिलती है, उसे और कहीं देखा भी नहीं जा सकता।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अपराधियों को टिकट व पार्टी में तरजीह देने को लेकर सपा एकबार फिर चर्चा में आ गई है। पार्टी ने रविवार देरशाम बरेली के जिलाध्यक्ष को बदल दिया है। पार्टी ने अगम मौर्य की जगह शिवचरन कश्यप को जिलाध्यक्ष बनाया है। बता दें कि शिवचरन कश्यप का आपराधिक इतिहास रहा है। यह वही शिवचरन कश्यप हैं, जिन्हें रामपुर में एक दिन की थानेदार बिटिया ने अभद्रता करने पर 21 नवंबर, 2020 को थाने की हवालात में बंद कर दिया था। शिवचरन कश्यप पर मारपीट, चोरी व जबरन जमीन हड़पने समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।
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गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले अनुसूचित जाति की महिला की जमीन जबरन बैनामा कराने के मामले में डीएम के आदेश पर शिवचरन की रजिस्ट्री को कैंसिल कर दिया गया है। सपा नेता ने इस जमीन को जबरन अपने पत्नी के नाम से बैनामा करा लिया था। सपा से पहले शिवचरन कश्यम बसपा में भी रहे हैं। उस दौरान उनके घर से चोरी की बोलोरो कार बरामद हुई थी। इस मामले में भी उनपर मुकदमा चल रहा है। मौजूदा समय में शिवचरन कश्यम समाजवादी पार्टी में जिला उपाध्यक्ष के पद पर थे, जिन्हें अब जिलाध्यक्ष बना दिया गया है। इससे सपा के एक गुट में नाराजगी भी देखी जा रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव की वजह से शिवचरन का विरोध मुखर नहीं हो पा रहा है, लेकिन इसका असर चुनाव नतीजों पर देखने को मिलेगा।
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