Sabarimala Temple: केरल के पथानामथिट्टा में स्थित सबरीमाला मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, तपस्या और समानता का प्रतीक है। यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है, जिन्हें हरिहर पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इनमें भगवान शिव और विष्णु दोनों का अंश विद्यमान है।
यह मंदिर अपनी कठोर साधना और 41 दिन के व्रत (दीक्षा) के लिए विख्यात है। इस दीक्षा के दौरान भक्तों को सात्विक जीवन, ब्रह्मचर्य और पहाड़ी यात्रा सहित कई नियमों का पालन करना होता है। कहा जाता है कि केवल दर्शन मात्र से नहीं, बल्कि इस शारीरिक एवं मानसिक तपस्या के बाद ही भगवान अयप्पा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
एक खास बात यह है कि सबरीमाला में हर भक्त को समान माना जाता है। यहाँ आने वाले की जाति, धर्म या वर्ग मायने नहीं रखता। पहले यहाँ 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सभी महिलाओं को भी दर्शन का अधिकार मिल चुका है।
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मकर संक्रांति पर यहाँ ‘मकरविलक्कु’ नामक रहस्यमयी ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है, जिसके दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं। इस अवसर पर ज्योति दर्शन के बाद भगवान अयप्पा का भव्य जुलूस भी निकाला जाता है।
सबरीमाला इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह केवल आस्था का ही नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और सामाजिक समरसता का भी एक बेहतरीन उदाहरण पेश करता है।
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