Devkinandan Thakur: झारखंड के डालटनगंज शहर में विख्यात संत देवकीनंदन ठाकुर की कथा थी। कथा एक सप्ताह तक चली। इस दौरान प्रतिदिन हजारों की भीड़ जमा हो रही थी और पूरा डालटनगंज शहर कथा और धर्म के रंग में डूबा हुआ था। खासकर संभ्रांत घरों की महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। कथा में प्रति दिन महिलाओं के गले से चैन, मंगलसूत्र और अन्य गहनों की लूट हुई। लोग कहते हैं कि तीन सौ से ज्यादा महिलाओं के गहने लूटे गये, संभ्रांत घरों की महिलाओं की शरीर पर भारी भरकम गहनें होते हैं, उनकी कीमत भारी-भरकम होती है। अनुमान के अनुसार महिलाओं से पांच करोड़ के गहनें लूटे गये। कथा के सभी दिन गहनें लूटे जाने के बाद महिलाओं को विलाप करते सुना गया।
आयोजक मंडल और प्रशासन इस अपराध को दबाने की पूरी कोशिश की थी। एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई। संभ्रांत घर के महिलाएं पुलिसिया उत्पीड़न के डर से भी एफआईआर कराने से परहेज करना ही उचित समझी। इसके अलावा सबको मालूम था कि गहने तो वापस आयेंगे नहीं फिर उपर से परेशानी झेलनी होगी। पुलिस गहनों की रसीद मांगेगी, इतने मंहगे गहने खरीदने के लिए पैसे कहां से आये थे? ऐसे ढेरों प्रश्नों की झड़ी लगेगी।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार तीन तरह के लूटेरे थे। एक स्थानीय लूटेरे थे, दूसरे पेशेवर लूटेरे थे और तीसरे टीका गिरोह के लूटेरे थे। कथा के दौरान दर्जनों की संख्या में टीका लगाने वाले गिरोहों की उपस्थिति थी। ये टीका गिरोह कहां से आया था, आयोजकों सहित अन्य लोगों को भी मालूम नहीं था। कुछ लोगों का कहना था कि यह टीका गिरोह देवकीनंदन ठाकुर के साथ ही आया था। हालांति आयोजक मंडल के लोग इसका खंडन करते हैं। टीका लगाने वाले गिराह ने ही सर्वाधिक गहने लूटे हैं, महिलाओं के टीका लगाने वाले गिरोह इस दौरान महिलाओं के शरीर पर से गहने उतार लिया करते थे। इसके अलावा महिलाओं का अन्य गिरोह भी था, जो गहनें लूट रही थी। कुछ युवक महिलाओं के वेश में गहने लूट रहे थे। सीसीटीवी के अभाव में ऐसे गिरोहों की जेब भर गयी।
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मैंने पाया है कि देश में गहनें लूटने का एक संगठित गिरोह हैं। जहां भी बड़े धार्मिक आयोजन होता है, वहां पर लूटेरे संगठित गिरोह अपने हाथ की सफाई की कला दिखा देते हैं। बड़े-बड़े धार्मिक कार्यक्रमों में लाखों की भीड़ जुटती हैं। हमारे धर्म और संस्कृति को नष्ट कौन लोग करना चाहते हैं, यह भी स्पष्ट है। विधर्मी लोग एक साजिश के तहत इस तरह की करतूत से भारी कमाई करते हैं और हमारी संस्कृति और धर्म का संहार करने में लुटेरे धन का प्रयोग करते हैं।
इससे बचने का उपाय क्या है? महिला हो या पुरुष सभी को बचने की जरूरत है। महिलाएं ऐसे कार्यक्रमों में गहनें पहन कर न जायें और पुरुष काम की जरूरत के अनुसार ही जेब में पैसे रखें। बिना पहचान का दान भी न करें। यह देखा गया है कि दान लेना किसी दूसरे मजहब का होता है और अपनी पहचान छुपा कर दान इक्ट्ठा कर ऐस मौज करता है। देवकीनंदन ठाकुर या धीरेन्द्र शास्त्री जैसे संत तो ऐसे गिरोहों से आपको बचायेंगे नहीं। बचना तो स्वयं हैं।
(आचार्य विष्णु हरि)
मो. 9315206123
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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