प्रकाश सिंह
लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के पंजाब दौरे के दौरान जो कुछ हुआ उसे किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। किसानों के नाम पर बीते वर्षों से इस देश में जो गंदी राजनीति की जा रही है, वह काफी घातक है। किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली के लाल किला पर जो नंगा नाच किया गया वह किसी से छिपा नहीं है। किसानों की मांग मानकर प्रधानमंत्री ने सारा विवाद खत्म कर दिया, बावजूद इसके किसानों की तरफ से उनकी रैली रोकने का कुत्सित प्रयास राजनीति में नई कुप्रथा को जन्म दे रहा है। हालांकि इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि यह सब पंजाब में कांग्रेस सरकार के इशारे पर किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के साथ इतनी बड़ी लापरवाही के बाद बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने आ गई हैं। दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं पंजाब के फिरोजपुर जिले (Ferozepur District) के पियारियाना गांव (Piareana village) में प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी भारतीय किसान संघ (क्रांतिकारी) (Bhartiya Kisan Union (Krantikari) के सदस्यों ने ली है।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को बठिंडा पहुंचे थे, जहां से उन्हें हेलिकाप्टर के माध्यम से हुसैनीवाला स्थित राष्ट्रीय स्मारक जाना था। लेकिन बारिश और विजिबिलिटी की समस्या के चलते प्रधानमंत्री को करीब 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा। इसके बाद भी मौसम में कोई सुधार न होने पर यह तय किया गया कि प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से ही राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा करेंगे। इसमें दो घंटे से अधिक का समय लगना था। प्रोटोकाल के तहत गृह मंत्रालय ने डीजीपी पंजाब पुलिस की तरफ से आवश्यक सुरक्षा प्रबंधों की तैयारी की पुष्टि की गई। इसके बाद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से रैली के लिए आगे बढ़े। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के विरोध में किसानों के एम समूह ने पियारेना गांव के पास फलाईओवर को अवरूद्ध कर दिया था। प्रदर्शनकारियों के हाथ में लाल और हरे रंग के झंडे थे, जो बीकेयू क्रांतिकारी के झंडे हैं। बीकेयू क्रांतिकारी के महासचिव ने दावा किया है कि वह लोग नहीं चाहते थे कि प्रधानमंत्री पंजाब में रैली करें। इसलिए फ्लाईओवर को जामकर उनके काफिले को रोका गया।
बता दें कि प्रधानमंत्री की रैली में कोई अवरोध न आने पाए इसकी जिम्मेदारी पंजाब सरकार के साथ-साथ पुलिस की थी। पंजाब के गृह मंत्री का बयान है कि प्रधानमंत्री के काफिले की जानकारी उनकों नहीं थी। जबकि पंजाब पुलिस ने एनएसजी को रूट के क्लीर होने की जानकारी दी गई थी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर प्रधानमंत्री के रूट की जानकारी प्रजाब सरकार को नहीं थी, तो वहां के किसानों को कैसे हो गई? कांग्रेस ने राजनीति की गलत और गंदी संस्कृति की जो शुरुआत की है, इससे हर राजनीतिक दल को दो-चार होना पड़ सकता है।
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किसानों के नाम पर जो उत्पात मचाया जा रहा है, वह अब नरअंदाज करने लायक नहीं रह गया है। क्योंकि नरेंद्र मोदी के विरोध को जायज ठहराया जा सकता है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री का इस तरह विरोध करना निंदनीय है। प्रधानमंत्री किसी दल का विशेष नहीं होता, वह पूरे देश का प्रधानमंत्री होता है। उसकी गरिमा का ख्याल रखना हर भारतीय का कर्तव्य बनता है। किसान की आड़ में संवैधानिक व्यवस्था से ऊपर जाने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए। सत्ता के लिए कांग्रेस की तरफ से देश में जितना उत्पात मचाया जा रहा है, ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि सत्ता के लिए कांग्रेस कितना दाग अपने दामन में लेगी।
प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने के पक्ष में सोशल मीडिया में एक जमात जमकर समर्थन करने में लगा हुआ है। वो लोग इसे किसानों के प्रदर्शन की तस्वीर के साथ जोड़कर बदले के रूप में प्रस्तुत करने में लगे हुए है। लेकिन वह यह भूल कर रहे हैं कि ऐसी हरकत देश को गर्त में ले जाएगी।
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