सुकून गाँव में है,
पेड़ों के छाँव में है।
शहर के लोग तो,
टेंशन, तनाव में हैं।
स्वतंत्र हैं लोग यहाँ,
न किसी प्रभाव में हैं।
द्वेष में कुछ न रखा,
सब प्रेम भाव में है।
जीने का मजा तो,
किल्लत, अभाव में है।
इज्जत सम्मान तो,
अपने स्वभाव में हैं।
– नूरैन अंसारी
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