पितृ पक्ष है चल रहा,
पूर्वज स्मृति का काल।
नव पीढ़ी को संस्कार दें,
हो संस्कृति का ऊंचा भाल।।
हो संस्कृति का ऊंचा भाल,
परंपराओं में संस्कार भरें।
हैं मातु पिता आशीष हित,
नित सादर सेवा वन्दन करें।।
कौवे को देना भोजन यहां,
है सामाजिक जीव विज्ञान।
जब अंडों से बच्चे निकलते,
पोषण का उचित विधान।।
पोषण का उचित विधान,
जैव विविधता का संरक्षण।
पितरों की स्मृति का संस्कार,
मानव कर्तव्य भावना रक्षण।।
बृजेन्द्र पाल सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, लोकभारती केन्द्र लखनऊ
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