प्रकाश सिंह
गोंडा: कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी कहे जाने वाली कांग्रेस आज कुशल नेतृत्व के अभाव से जूझ रही है। अधिकत्तर राज्यों में कांग्रेस जहां दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है, वहीं जिन राज्यों में मजबूत है, वहां भी अपने अपरिपक्व फैसले के चलते नुकसान उठा रही है। पंजाब कांग्रेस में जारी घमासान के बीच कांग्रेस ने जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा तक ले लिया वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस का तगड़ा झटका दिया है। इतना ही नहीं सिद्धू की समर्थक रजिया सुल्ताना ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि कांग्रेस ने अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, और नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने में जुटी हुई है।
राजनीतिक विशलेषकों की मानें तो पंजाब में कांग्रेस की जो थू थू हो रही है, इसके लिए पार्टी की शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। पार्टी नेतृत्व के बोल्ड फैसले के चलते राज्य में कांग्रेस की फजीहत हो रही है। एक तरह जहां पंजाब कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है वहीं जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराकर कांग्रेस ने एक और बखेड़ा खड़ा कर दिया है। बता दे कि कन्हैया कुमार लेफ्ट विचारधार से ताल्लुक रखते हैं। कन्हैया कुमार ने जेएनयू में टुकड़े टुकड़े गैंग का समर्थन कर चर्चा में आया था। इसे कन्हैया कुमार की उपलब्धि भी माना जा सकता है, क्योंकि इसके अलावा उनकी अभी तक कोई उपलब्धि नहीं है, जिसे बताया या गिनाया जा सके।
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कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल कराने का विरोध खुद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी भी कर चुके हैं। वहीं बीजेवी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी टुकड़े टुकड़े गैंग के नाम पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। कन्हैया कुमार में सीपीआई को अपना राजनीतिक भविष्य दिख रहा था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार को उसके गृह जनपद बेगूसराय से उसे भाजपा के गिरिराज सिंह के खिलाफ प्रत्याशी बनाया था। कन्हैया कुमार को बुरी तरह से हार मिली थी। अब कांग्रेस ऐसे हारे प्रत्याशी पर भाजपा को हराने का दांव लगा रही है।
फिलहाल कांग्रेस में कन्हैया कुमार का आना और नवजोत सिंह सिद्धू के साथ रजिया सुल्ताना का जाना कांग्रेस को और उलझा दिया है। यही यह चर्चा तेज हो गई है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह किसी समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं।
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