नागपुर: देश में इन दिनों हिंदुत्व को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां खुद को हिंदू बताकर भाजपा और संघ पर हिंदुत्वादी होने का आरोप लगाकर हमला बोल रहे हैं, वहीं गत वर्ष दिसंबर में हरिद्धार धर्म संसद (Dharam Sansad) में हिंदुत्व को लेकर हुई बयान बाजी के बाद इस पर बहस तेज हो गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने हिंदुत्व को लेकर चल रही चर्चाओं पर असहमति जताई है। धर्म संसद (Dharam Sansad) में कथित तौर पर कही गई बातों को उन्होंने खारिज करते हुए इस पर अपनी असहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुओं के नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले लोग कभी भी इससे सहमत नहीं हो सकते।
एक मीडिया समूह के आयोजित कार्यक्रम में ‘हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकीकरण’ विषय पर बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे। उन्होंने कहा कि गुस्से में मैं अगर कुछ कहता हूं, तो वह हिंदुत्व नहीं है। उन्होंने वीर सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एक हो जाए तो वह भगवद गीता के बारे में बोलेगा, न कि किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचेगा। देश के हिंदू राष्ट्र पर चलने के बारे में उन्होंने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। आप इसे स्वीकार करें न करें, यह हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं, बल्कि उनके मतभेदों को दूर करता है और हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं।
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गौरतलब है कि गत वर्ष दिसंबर में हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इसमें मुस्लिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए गए थे। रायपुर में गांधी के बारे में भी अमर्यादित टिप्पणी की गई थी। भागवत ने वर्ष 2018 में संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अमंत्रित करने के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी को कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए जब वह उनसे मिलने गए तो वह उनके ‘घर वापसी’ के मुद्दे को लेकर काफी तैयारी करके गए थे। उन्होंने कहा कि उस समय संसद में ‘घर वापसी’ के मुद्दे को लेकर काफी हंगामा हो रहा था।
उन्होंने कहा कि वह बैठक में प्रणब मुखर्जी के किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए वह पूरी तरह से तैयार थे। लेकिन प्रणब मुखर्जी से मिलने के बाद उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने की कोई जरूरत नहीं पड़ी। प्रणब मुखर्जी ने खुद कहा कि अगर आपने घर वापसी का काम न किया होता तो देश के 30 प्रतिशत समुदाय देश से कट चुके होते।
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