प्रकाश सिंह
गोरखपुर: अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को खुली छूट मिलनी जरूरी थी, लेकिन यह भी तय किया जाना जरूरी था कि इससे आम जनता को कोई नुकसान न पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को खुली छूट तो दे दी, लेकिन सरकार के साढ़े चार साल का कार्यकाल बीत गया मगर यह नहीं तय कर पाए कि इससे आम जनता को कोई नुकसान न हो। उत्तर प्रदेश पुलिस पूर्ववर्ती सरकारों में जनप्रतिनिधियों के दबाव के बावजूद हर तरह के अपराध को अंजाम देती आई है। ऐसे में योगी सरकार ने खुली छूट देकर यूपी पुलिस को और भी बड़ा अपराधी बना दिया।
योगी सरकार के बनते ही कांस्टेबल प्रशांत चौधरी और संदीप ने एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या कर प्रदेश सरकार को सलामी दी। वहीं अब जब सरकार का कार्यकाल बीतने को है तो गोरखपुर पुलिस ने कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता को पीटपीट कर मौत के घाट उतार दिया। बता दें ये बड़े मामले थे इसलिए चर्चा में हैं। ऐसे ढेरों मामले हैं, जिसपर पुलिस के आला अधिकारियों ने पर्दा डालकर दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने में पूरी मदद की।
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इसी तरह की एक घटना वर्ष 2019 में गोरखपुर के राजघाट थाना क्षेत्र में घटी थी। जिसमें अंबेडकरनगर जनपद के अलीगंज थाना क्षेत्र के कपड़ा व्यवसाई सुरेंद्र पांडेय की राजघाट थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई। अपराधियों और राजघाट पुलिस की मिली भगत से व्यवसाई के घर वालों को उसकी लाश तक नहीं मिल पाई। कोर्ट के आदेश पर किसी तरह मुकदमा तो दर्ज हो गया। मगर थानाध्यक्ष विनय सरोज अपराधियों को बचाने के लिए कोर्ट के आदेश के बावजूद विवचना रिपोर्ट नहीं लगा रहा है।
मजे की बात तो यह है कि योगी सरकार जहां यह दावा कर रही है कि उनके राज्य में अपराध कम हुए हैं, वहीं सच यह भी है कि योगी राज में सबसे ज्यादा अपराध वर्दीधारियों ने किया है। कानपुर के बिकरू गांव कांड के बाद पुलिस एक के बाद एक जिस तरह से एनकाउंटर को अंजाम दिया, वह यह बताने के लिए काफी है कि यूपी पुलिस कोर्ट, कानून और संविधान से ऊपर है। विकास दुबे अपराधी था, तो क्या एनकाउंटर की आड़ में हत्या करने वाली पुलिस सही है। बिकरू गांव कांड में पुलिस की साजिश का शिकार बनी खुशी दुबे का आखिर दोष क्या है? यह सवाल अब तक अनुत्तरित क्यों है।
ऐसे ढेरों सवाल हैं जो पुलिसकर्मियों को अपराधी साबित करते हैं। बेहतर होगा कि सरकारें इन पर पर्दा डालने की जगह कोई ठोस कदम उठाएं जिससे निर्दोषों की हत्याओं को रोका जा सके। फिलहाल गोरखपुर प्रापर्टी डीलर की हत्या के मामले में पुलिस फंसती दिख रही है। क्योंकि होटल में लगे सीसीटीवी कैमरे में पुलिस की पूरी करतूत रिकॉर्ड है। राहत देने वाली बात तो यह है कि चुनावी वर्ष होने के नाते सरकार के साथ साथ पूरा विपक्ष व्यवसायी के परिवार के साथ है।
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