Magh Mela 2026: संगम की रेती पर आस्था का सबसे बड़ा समागम यानी माघ मेला इस बार 3 जनवरी 2026 से शुरू होकर 15 फरवरी तक चलेगा। हिंदू धर्म में माघ मेले का महत्व किसी कुंभ से कम नहीं माना जाता। कहते हैं कि कड़कड़ाती ठंड में गंगा के पावन जल में डुबकी लगाने और दान-पुण्य करने से न केवल पाप कटते हैं, बल्कि कुंडली के ग्रह-नक्षत्रों के दोष भी दूर होते हैं।

अगर आप भी इस बार संगम नहाने जा रहे हैं, तो इन 5 तरह के दानों का विशेष ध्यान रखें:

1. तिल का दान: मकर संक्रांति का खास महत्व

माघ के महीने में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है, तब तिल का दान सबसे उत्तम माना जाता है। प्रयागराज में तीर्थ पुरोहितों को तिल के साथ दक्षिणा देने की परंपरा है।

खास तरीका: कई श्रद्धालु तिल के लड्डू के अंदर चांदी या तांबे के सिक्के छिपाकर दान करते हैं। इसे एक प्रकार का गुप्त दान माना जाता है जो बेहद शुभ होता है।

2. गुप्त दान: दस गुना ज्यादा मिलता है फल

शास्त्रों में कहा गया है कि एक हाथ से दान दें तो दूसरे हाथ को पता न चले। प्रयागराज में गुप्त दान का फल प्रकट दान से दस गुना अधिक मिलता है। आप अपनी श्रद्धा अनुसार किसी भी ब्राह्मण, मठ या आश्रम में चुपचाप सहायता राशि या सामग्री दे सकते हैं।

3. वस्त्र दान: तन ढकने का पुण्य

कड़ाके की सर्दी में वस्त्रों का दान महादान कहलाता है। आप किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को धोती, कुर्ता, टोपी, अंगोछा या गर्म कपड़े दान कर सकते हैं। महिलाओं के लिए ओढ़नी या साड़ी का दान भी श्रेष्ठ है।

4. बिस्तर दान: सुकून की नींद का आशीर्वाद

माघ मेले के दौरान कल्पवासी और साधु-संत जमीन पर सोते हैं। ऐसे में बिस्तर का दान करना बहुत फलदायी होता है। इसमें आप दरी, रजाई, गद्दे, कंबल या तकिया दान कर सकते हैं। यह दान जीवन में सुख-शांति लाता है।

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5. आमान्न दान: भोजन की थाली से मिलती है तृप्ति

‘आमान्न’ का अर्थ है कच्चा राशन। इसमें आप चावल, दाल, घी, गुड़, नमक, चीनी और ताजी सब्जियां एक थाली में सजाकर दान कर सकते हैं। ब्राह्मणों के भोजन के लिए दी गई यह सामग्री अक्षय पुण्य प्रदान करती है।

क्यों करना चाहिए दान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ के महीने में संगम तट पर किया गया दान सीधे देवताओं तक पहुँचता है। यह आपके जीवन की बाधाओं को दूर कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

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