Lucknow: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय इग्नू क्षेत्रीय केंद्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उतर प्रदेश और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय भारत सरकार के जन शिक्षण संस्थान गोमती नगर के संयुक्त तत्वावधान में बौद्धिक सम्पदा संरक्षण (आईपीआर) कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से लोगों को बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के विषय में जानकारी दी गईं तथा आईपीआर से जुड़े कानून के विषय में जागरूक किया। मुख्य-अतिथि, डॉ प्रदीप श्रीवास्तव कार्यकारी निदेशक टाईफैक भारत सरकार ने वर्चुअल सम्बोधन में कहा कि बौद्धिक संपदा संरक्षण वैश्वीकरण के इस युग में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
विचारों की सुरक्षा के बिना व्यक्ति अपने आविष्कारों का पूरा लाभ नहीं उठा पाएंगे। इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह ने सभी अतिथियों, सह- भगियों, अध्यापक व छात्र / छात्राओं का कार्यशाला में स्वागत कियाl इग्नू की वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक डॉ मनोरमा सिंह ने विधि संकाय द्वारा संचालित पाठ्यकर्मों जैसे बौद्धिक सम्पदा अधिकारों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पेटेंट प्रैक्टिस में स्नातकोत्तर प्रमाण पत्र, साइबर कानून में स्नातकोत्तर के बारे में जागरूक कर लोगों को नामांकन के लिए प्रेरित किया।
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इस अवसर पर विशिष्टवक्ता, डॉ. भरत राज सिंह, महानिदेशक, स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसज, जो एक ख्यातिपूर्ण वरिष्ठ वैज्ञानिक व पर्यावरणविद हैं, ने बताया कि इंसान के मस्तिष्क से जो नई रचनात्मक कृति पैदा होती हैं, वह उसकी बौद्धिक सम्पदा के श्रेणी में आता हैl उसके द्वारा सृजित कोई संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज, प्रतीक, नाम, चित्र, डिजाइन, कापीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट आदि को संरक्षित करने को ही आईपीआर कहते हैं। उन्होंने इसके कई उदाहरण दिए और बताया कि वैदिक काल से ही भारतवर्ष एक समृद्धि देश रहा हैl आज भारत विश्व में पेटेंट व अन्य रजिस्ट्रेशन में छठे स्थान पर है l प्रो. वरुण छच्छर, जो विधि विश्वविद्यालय से एसोसिएट प्रोफेसर हैं, उन्होंने आईपीआर के विभिन्न 7- आयामों व आईपीआर के अधिनियम पर प्रकाश डालाl डॉ. हरिकेश बहादुर प्रोफ़ेसर जीएलए विश्विद्यालय मथुरा ने पेटेंट अधिनियम की जानकारी देते हुए पेटेंट फाइलिंग की प्रक्रिया बताई। अंत में पूजा यादव, जो संयुक्त निदेशक, उत्तर प्रदेश विज्ञान व प्रद्योगिकी, लखनऊ हैं, ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया l
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