Lucknow News: श्रुति, स्मृति, उपनिषद, वेदांत, श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण और श्रीमद्भागवत के मर्मज्ञ एवं प्रख्यात कथा व्यास जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी ने संस्कृतिपर्व के विश्वगुरु अंक का लोकार्पण किया। यहां निरालानगर स्थित माधव सभागार में चल रही भागवत कथा की पीठ से हुए इस लोकार्पण से संस्कृति पर्व परिवार अत्यंत गौरवान्वित है। संस्कृति पर्व के संपादक संजय तिवारी ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव का क्षण है कि ऐसे महामनीषी ऋषितुल्य विभूति के कर कमलों से इस अंक का लोकार्पण सम्पन्न हुआ है।
सनातन संस्कृति के लिए समर्पित कथापीठों में जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य की इस पीठ की विशिष्ट महिमा है। यहां स्वामी के संक्षिप्त परिचय के रूप में यह उल्लेख्य है कि मज्जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य महाराज, अयोध्या स्थकोसलेसदनपीठाधीश्वर मज्जगद्गुरु श्रीस्वामी वासुदेवाचार्य महाभाग के चरणानुगत कृपापात्र, का प्रागट्य फाल्गुन शुक्ल पंचमी, विक्रमी संवत 2033 को एक सरयूपारीण ब्राह्मण कुल में अयोध्या में हुआ। बाल्यकाल मेँ ही आपने वेदादि शास्त्रों, व्याकरण का विधिवत अभ्यास किया। तदनन्तर गुरुवर्य विन्ध्येश्वरी प्रसाद के सानिध्य में स्वामी वेदाध्ययन एवं पूर्वमीमांसा में निष्णात हुए।
डॉ. शिवप्रसाद द्विवेदी से श्रीभाष्यादि वेदांत ग्रंथों का रस ग्रहण प्राप्त किया। श्रीमहास्वामी गोपालाचार्य महाभाग की सन्निधि में स्वामी में भगवदराधन एवं कालक्षेप (प्रवचन) की विलक्षण शैली उत्स्फूर्त हुई। स्वामी काशीस्थ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से वेदांत परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्णपदक से सम्मानित हुए। तदनन्तर प्रो. राजदेव मिश्र के मार्गदर्शन में स्वामी ने विद्यावारिधि (पीएचडी) की पदवी प्राप्त की।
उनकी योग्यता, अप्रतिम वैदुष्य, सनातनधर्म निष्ठा एवं सम्प्रदाय भक्ति से प्रभावित होकर सन् 2010 के हरिद्वार कुम्भ में अखिल भारतीय श्रीवैष्णव सम्मेलन के समय अनेक धर्माचार्यों, महंतों एवं पीठाधीश्वरों की उपस्थिति में 8 अप्रैल, 2010 के पवित्र दिन स्वामी को श्रीमज्जगद्गुरू रामानुजाचार्य के गरिमामय पद पर प्रतिष्ठित किया गया। सन 2017 में काशी विद्वत परिषद द्वारा प्रशस्तिपत्र प्रदान कर स्वामी का सम्मान किया गया।
संप्रति स्वामी अयोध्या स्थित श्रीधाममठ (श्री रामवर्णाश्रम, रामकोट, अयोध्या) सर्वराकार महंतपद पर प्रतिष्ठित होकर रामायण-महाभारतादि ग्रन्थों सुबोधगम्य, प्रवाह प्रभाव युक्त प्रवचनों द्वारा भारतीय वैदिकार्ष संस्कृति एवं वर्णाश्रम मर्यादा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। संप्रति स्वामी जिन संस्थाओं के सर्वराकार महंत पद पर प्रतिष्ठित हैं, उनमें श्रीधाममठ रामवर्णाश्रम, रामकोट, अयोध्या, श्रीरामलला सदन मंदिर, अयोध्या, श्री हनुमान मंदिर, रामकोट, अयोध्या और श्रीराम-जानकी मंदिर, रामापुर घाट, कौडिया बाजार, गोंडा, (उप्र) जैसी संस्थाएं शामिल हैं। अन्य संस्थाएं, जोकि स्वामी के सफल मार्गदर्शन मेँ संचलित हैं उनमें श्रीरामानुज वेद विद्यालय शिक्षण क्षेत्र मे कार्यरत है। इसमें बटुक-बालकों को वेद विदयाध्ययन की सुविधा प्राप्त है। श्रीनंदनी गोशाला गोसंवर्धन के कार्य मे रत है। अन्नसेवा ,अतिथि सेवा द्वारा भक्तों के निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती है।
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श्रीवैष्णव समुदाय के सौभाग्य से स्वामी साकेत धामस्थ श्रीरामलला सदन देवस्थान दिव्यदेश के पुनर्निर्माण कार्य को सम्पन्न कर संचलित कर रहे हैं।यहाँ पर श्री सम्प्रदायानुरूप पांचारात्रागम पद्धति से भगवत्सेवा की व्यवस्था है। आधुनिक सनातन भारत की कथापीठों में स्वामी की उपस्थिति अत्यंत विशिष्ट है।
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