Lucknow News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण, युगान्तरकारी एवं नये मार्ग प्रशस्त करने वाले कदम के रूप में स्वीकार किया गया है। इसी नीति के क्रियान्वयन की दिशा में शिशु अवस्था की देखभाल एवं शिक्षा की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या, जोकि क्रिया तथा खेल आधारित, आनन्ददायक शिशु शिक्षा का आधार है, एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। विश्वभर के शैक्षिक एवं आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ जानते हैं कि अच्छी शिक्षा से व्यक्तित्व विकास की गति अकल्पनीय रूप से तेज हो सकती है। “जादुई पिटारा” के नाम से हाल ही में जारी शिक्षण-अधिगम सामग्री देश में प्रारम्भिक स्तर की शिक्षा, विशेषकर अंक- ज्ञान तथा अक्षर ज्ञान की दृष्टि से एक बड़ा कदम है। बालकों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण तथा समग्र विकास के उद्देश्य से यह एक नवाचारी प्रयोग है। उक्त बातें विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी. रामकृष्ण राव ने कहीं।
उन्होंने कहा कि अनुभवजन्य अधिगम, खेल आधारित सीखने की आयु अनुकूल प्रक्रिया, खेलों के माध्यम से सीखना, बहुभाषायी विकास, जीवन कौशलों का विकास, क्षमता निर्माण, शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विविध गतिविधियों का आकलन, संस्कृति से जुड़ाव, कौशल शिक्षा को स्वयं करके सीखना, शिक्षक – शिक्षा की पुस्तिका, डिजिटल तथा दृश्य श्रव्य स्वरूप में उपलब्धता, कथा-कथन तथा विविधतापूर्ण शिक्षण सहायक सामग्री आदि इस “जादुई पिटारा” के अन्तर्गत प्रमुख विशेषताएं हैं।
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उन्होंने कहा कि देश की 13 भाषाओं में सरल तरीके से समझाने वाले इस “जादुई पिटारे” का अवलोकन करने तथा उसकी सामग्री को समझने के बाद विद्या भारती को प्रतीत होता है कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री की सहायता से विद्यालय भी अपने यहां इस प्रकार की अन्य सामग्री विकसित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विद्या भारती इस जादुई पिटारे को विकसित करने में जुटी हुई टीम के सभी व्यक्तियों का अभिनन्दन करती है तथा विश्वास करती है कि देश की शिक्षा प्रणाली में यह एक परिवर्तनकारी कदम होगा। शिक्षा मंत्रालय तथा उसकी नोडल एजेन्सी एनसीईआरटी तथा अन्य सहयोगी संस्थाओं की यह पहल तथा प्रयास भी बधाई के पात्र हैं, जिनके दिन-रात के परिश्रम के बिना यह महत्वपूर्ण परिवर्तन संभव नहीं हो सकता था।
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