Lucknow: मंहगे अस्पतालों में अच्छे डॉक्टर होते हैं, ऐसी धारणा लोगों में बन चुकी है। क्योंकि ये डॉक्टर दिखते तो इंसान हैं पर साधारण इंसानों से इनका कोई सरोकार नहीं होता। वहीं साधारण इंसानों से सरोकार रखने वाले डॉक्टरों को लोग झोलाछाप डॉक्टर बोलकर खिल्ली उड़ाने में अपनी शान समझते हैं। जबकि कड़ुआ सच है कि ये झोलाछाप डॉक्टर गरीबों के लिए भगवान साबित होते हैं। इनको दिखाने के लिए मरीजों को लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ता और जरूरत पड़ने पर यह मरीज का उसके घर भी जाकर इलाज करते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मंहगे अस्पतालों में शामिल मेदांता अस्पताल पर फर्जी बीमारी बताकर मरीज से वसूली करने का आरोप लगा है। पीड़ित मोहन स्वरूप ने आईजीआरएस पोर्टल के जरिए मुख्यमंत्री से मेदांता अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

शिकायतकर्ता मोहन स्वरूप के मुताबिक, उनकी उम्र 45 वर्ष है, वह 23 मई, 2024 को शाम करीब 4:30 बजे चक्कर आने के कारण घर पर गिर गये। आनन-फानन में उनके परिवार वालों ने उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल पहुंचाया। यहां भर्ती लेने के बाद डॉ महिम सरन (कार्डियोलॉजी) और डॉ. अवनीश (कार्डियोलॉजी) ने उनकी एनिज़ोग्रफी और अन्य जांचें करवाईं।

डॉक्टरों ने जांच होने के बाद उनके भाई और पत्नी से आठ लाख रुपये की डिमांड की। उन्हें बताया गया कि उनके हार्ट में छल्ला पड़ेगा और अगर आधे घंटे में रुपये की व्यवस्था नहीं हुई तो वो मर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनके भाई और पत्नी के पास मात्र दो लाख रुपये थे और इतनी बड़ी रकम तत्काल जमा कर पाने में असमर्थता जताई। वहीं हाल जानने पहुंचे उनके दोस्त ने गैस की समस्या होने की बात कहकर दूसरे अस्पताल चलने की सलाह दी। उन्होंने मेदांता अस्पताल से डिस्चार्ज करने को कहा।

डिस्चार्ज की बात करने पर डॉ महिम सरन और डॉ. अवनीश के साथ नर्सिंग स्टाफ बतमीजी और गाली गलौज करते हुए झगडे पर उतारू हो गये। फिर बाद में किसी तरह उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कराया गया। इसके बाद उन्हें राजधानी के दूसरे अस्पताल में ले जाया गया, जहां कुछ दवा और इंजेक्शन देने के बाद उन्हें राहत मिल गई। शिकायतकर्ता ने मामले में कठोर कार्रवाई करने की मांग के साथ मेदांता अस्पताल से 24 हजार रुपये वापस कराने की मांग की है।

इस पूरे मामले में मेदांता अस्पताल ने सफाई देते हुए बयान जारी किया है। अस्पताल की तरफ से जारी बयान के अनुसार, मरीज की जांच Acute Heart Attack डाइग्नोस हुआ था, जिसके बाद मरीज को First Aid Treatment देकर Angiography की गयी, जिसमें Right Coronary Artery में 100% blockage निकला। इसके साथ ही Left Coronary Artery की एक branch में 70% blockage निकला। ऐसे में मरीजों में 100% blocked artery को खोलना जरूरी होता है, जिसके बारे में मरीज को विस्तार पूर्वक बताया गया. जिसके बाद मरीज और उसकी पत्नी ने आगे इलाज कराने से मना कर दिया और मरीज को Left Against Medical Advise (LAMA) करा कर ले गये।

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उन्होंने कहा कि ऐसे Acute Heart Attack में दवाओं से प्रारंभिक दर्द में आराम तो होता है परंतु blocked artery नहीं खुल सकती है और आने वाले समय में फिर से heart attack की संभावना बढ़ जाती है। जिससे मरीज की आकस्मिक मृत्यु भी हो सकती है। अस्पताल ने कहा कि अस्थायी दर्द में आराम का मतलब यह नहीं होता है कि बीमारी खत्म हो गयी है और किसी भी समय मरीज को जान का खतरा हो सकता है। जब heart attack आता है या जांचों में arterial blockage निकलता है तो उसका उचित इलाज Angioplasty (Stent डालना) या Coronary Artery Bypass Grafting (CABG) Surgery होता है। अस्पताल ने कहा मरीज का यह आरोप कि उनका वाल्व खराब बताया गया है यह बिल्कुल गलत एवं निराधार है।

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