Lucknow: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार बनने के बाद माफिया-गुंडों पर जो कार्रवाई हुई, उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। अधिकारी और कर्मचारी बिना किसी दबाव में काम कर रहे हैं। गुंडों पर पुलिस का खौफ इस कदर हावी है कि वह जान बख्स देने की तख्ती लटकाकर थाने में सरेंडर कर रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि ऐसे दावे योगी सरकार (Yogi government) की तरफ से किए जा रहे हैं। जबकि हकीकत बेहद डरावने हैं। योगी राज (Yogi government) में जंगलराज अभी भी जारी है। सरकार की तरफ से मिली खुली छूट का फायदा पुलिस जमकर उठा रही है। बताया जा रहा है, पुलिस की तरफ से वसूली बदमाशों से वसूली बढ़ा दी गई और ऐसा न करने पर एनकाउंटर की धमकी दी जाती है। वहीं प्रशासनिक अमले से न्याय की उम्मीद खो चुके फरियादी लोकभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचकर आत्मदाह करने को मजबूर हैं। बीते दिनों क्षेत्रीय विधायक के उत्पीड़न से तंग आकर आत्मदाह करने वाले उन्नाव जिले के आनंद मिश्रा की सोमवार को इलाज के दौरान मौत हो गई है।
आनंद मिश्रा 26 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास के सामने अपने ऊपर केरोसिन छिड़ककर आग लगा लिया था। आग से जल रहे युवक को सीएम आवास की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने किसी तरह बुझाया था। गंभीर हालत में युवक को सिविल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। जहां आज उसकी मौत हो गई है। बता दें कि उन्नाव जनपद निवासी 27 वर्षीय आनंद मिश्रा पिछले बुधवार दोपहर में लखनऊ के गौतम पल्ली थाना अंतर्गत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने पहुंचे और अपने ऊपर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली। मुख्यमंत्री आवास की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी आनंद को जब तक बचा पाते वह बुरी तरह से झुलस गया। अचानक से हुई इस घटना से हड़कंप मच गया। आनन-फानन में युवक को गंभीर हालत में सिविल अस्पताल पहुंचाया गया।
यहां इलाज के दौरान पुलिस की पूछताछ में आत्मदाह की कोशिश करने वाले युवक ने अपना नाम आनंद मिश्रा बताया। उसने बताया कि क्षेत्रीय भाजपा विधायक बंबालाल दिवाकर के उत्पीड़न से काफी परेशान है। युवक ने मीडिया कर्मियों को बताया था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई बार विधायक के उत्पीड़न के मामले में पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके चलते विवश होकर उसे आत्मदाह करने का कदम उठाना पड़ा। बता दें कि आत्मदाह की कोशिश करने वाले आनंद मिश्रा ने चार दिन पहले उन्नाव के पुलिस अधीक्षक को फोन करके भाजपा विधायक बंबालाल दिवाकर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए खुद की जान को खतरा बताया था।
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वादे और हकीकत में बहुत अंतर होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दावे और प्रदेश की हकीकत में बहुत अंतर है। अधिकारी इतने निरंकुश हो गये हैं कि फरियादियों को इंसाफ माने के लिए मुख्यमंत्री दरबार में गुहार लगानी पड़ रही है। वहीं आनंद मिश्रा की मौत पर इसका जिम्मेदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके प्रशासनिक तंत्र को ठहराया जा रहा है। आनंद मिश्रा के परिजनों का कहना है कि उनकी फरियाद को प्रशासनिक अमले के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नहीं सुनी। अगर योगी राज में इंसाफ हो रहा होता, तो आनंद मिश्रा आज जिंदा होते। फिलहाल आनंद मिश्रा की मौत ने योगी सरकार के दावे की हवा निकाल दी है।
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