Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू हो गई है। बीजेपी जहां बूथ स्तर पर खुद को मजबूत कर रही है, वहीं समाजवादी पार्टी भी कार्यकर्ताओं में जोश भरने में लगी है। जबकि उत्तर प्रदेश में वजूद तलाश रही कांग्रेस की नजर सपा पर है। वह सपा के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है। वहीं सभी विपक्षी दलों की निगाहे गोंडा जनपद के कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर टिकी हुई है। महिलाओं पहलवानों के यौन शोषण के आरोप में फंसे बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) तुरुप का वह इक्का हैं, वह जिस दल के साथ रहेंगे उसकी दो-तीन सीटें निकलनी तय मानी जाती है। एक तरफ जहां चर्चा है कि बीजेपी इसबार बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) का टिकट काट सकती है, वहीं बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को पूरा विश्वास है कि उनकी सीट पर कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
बेबाक अंदाज वाले बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पत्रकारों के सवालों पर कहा कि चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊं…। उन्होंने साफ किया कि उन्हें टिकट मिलने या कटने की कोई चिंता नहीं है। मैं अपने देवीपाटन मंडल की सेवा में लगा हूं, यहां का विकास मेरी प्राथमिकता है। मुझे किसी चीज की चाह नहीं है। बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह के इस बार टिकट कटने की चर्चाओं को धार देने के लिए विपक्षी दलों के समर्थित कुछ पत्रकार अक्सर बृजभूषण शरण सिंह से ऐसे सवाल पूछते रहते हैं। बीते दिनों भी इसी तरह के सवाल पर बीजेपी सांसद ने कहा था कि उनका टिकट कौन काटेगा? जबकि टिकट देना न देना बीजेपी आलाकमान के हाथ में है।
दरअसल यौन शोषण के आरोपों में घिरे बृजभूषण शरण सिंह की जितनी जरूरत बीजेपी को हैं, उससे कही ज्यादा विपक्ष को भी है। यही वजह है कि महिला खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप पर विपक्ष खुलकर बृजभूषण शरण सिंह का विरोध नहीं कर पा रहा है। विपक्ष की पूरी कोशिश है कि भारतीय जनता पार्टी और बृजभूषण शरण सिंह में टकराव बढ़े, जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में उन्हें मिल सके। वहीं बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह के मामले में पूरी तरह चुप है। बीजेपी की चुप्पी बता रही है कि वह किसी भी सूरत में बृजभूषण शरण सिंह को खोना नहीं चाहती।
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फिलहाल उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपराधियों का बोलबाला शुरू से रहा है। यहां की आबोहवा को अपराधियों से कोई दिक्कत नहीं है। दुष्कर्म के आरोपी और सपा में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति बचाव में किस तरह पूरी सरकार खड़ी हो गई थी, उसे भी यहां की जनता देख चुकी है। प्रदेश में सरकार बदलते ही गायत्री प्रजापति पर लगे सारे आरोप सिद्ध हो गए और वह सलाखों की पीछे पहुंच गए। बीते दिनों भदोही से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को भी गायिका से दुष्कर्म के मामले में 15 साल की सजा सुनाई गई है। वहीं बृजभूषण शरण सिंह का दबाव व रसूख ही है जो गंभीर आरोपों के बावजूद अभी तक गिरफ्तारी तक नहीं हो सकी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि उनका टिकट काटने की हिम्मत किसमें है?
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