UP News of Today: कानपुर विवि (kanpur university.in) के कुलपति (Chancellor) प्रो. विनय पाठक के मामले में अब और गंभीर धाराएं दर्ज हो चुकी हैं। उनके दो सहयोगी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। एसटीएफ को प्रमाणों के जखीरे मिल रहे हैं। इतने के बाद भी कुलाधिपति कार्यालय जिस ढंग से चुप है, उससे साफ झलक रहा है कि कोई ऐसा गिरोह है जो या तो कुलाधिपति (Chancellor) तक वास्तविक जानकारी नहीं होने दे रहा, अथवा कोई शक्ति है जो इस प्रकरण में कोई करवाई नहीं होने दे रही।
जबकि पिछले वर्ष के आखिरी दिन अवध विवि (ram manohar lohia) के तत्कालीन कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह को एक सामान्य शिकायत पर ही पद छोड़ना पड़ा था। आज भी 10 महीने से अवध विवि कार्यवाहक कुलपति के भरोसे है। ऐसे में अब सवालों की संख्या बढ़नी स्वाभाविक है। इस बारे में उच्च शिक्षा से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने 31 दिसंबर, 2021 की रात अचानक इस्तीफा दे दिया था।
राज्यपाल व कुलाधिपति (Chancellor) आनंदीबेन पटेल ने उनकी जगह प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भईया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह को अवध विश्वविद्यालय अयोध्या (ram manohar lohia) के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार नियमित नियुक्ति होने तक के लिए सौंपा था। लगभग साल 10 महीने से यह विश्वविद्यालय कार्यवाहक के सहारे चल रहा है। इस संदर्भ में विश्वविद्यालय का कहना था कि प्रो. रविशंकर सिंह ने निजी कारणों से कुलाधिपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जबकि सूत्र बताते हैं कि उनके खिलाफ आरोपों की लंबी फेहरिस्त को देखते हुए उनसे इस्तीफा लिया गया। लेकिन 10 महीनों में इस महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय को अपने कुलपति की नियुक्ति के लिए राजभवन की ओर टकटकी लगाए देखते हुए प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
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सूत्र बताते हैं कि प्रदेश में विश्वविद्यालयों के जो हालात दिख रहे हैं उनमें कोई शरीफ शिक्षाविद कुलपति बनना नहीं चाहेगा। कारण यह है कि एक विनय पाठक के चलते चार विवि सीधे फंसे हैं। आठ अन्य विवि में एफआईआर कह रही है कि विनय पाठक द्वारा नियुक्त कराए गए कुलपति ही कार्यरत हैं। गोरखपुर विवि में भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन चल रहा। ऐसे में उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा किस हाल में है, कोई स्वतः अंदाजा लगा सकता है।
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