श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में जितना दर्द आतंकी दे रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा वहां के राजनेता भी दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी घाटी में शांति बहाली नहीं स्थापित हो पा रही है। सच तो यह है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद भी यहां के लोगों को यह सच रास नहीं आ रहा है। फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सरीखे ऐसे नेता हैं जो यहां मुख्यमंत्री भी रहे लेकिन हालात सुधारने की जगह लगातार बिगड़ते गए। आलम यह है कि अंतिम समय में तिरंगे में लिपटना हर भारतवासी का सपना होता है, वहीं जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसे तत्व हैं जो खाते हिंदुस्तान का हैं और गाते पाकिस्तान का। ऐसा ही नजारा अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर सामने आया है।
गिलानी के जनाजे में न सिर्फ राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए बल्कि उनके शव को पाकिस्तान के झंडे में लपेटा गया। वहीं यह बात सामने आने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी दर्ज होते ही यहां की तक्ष्य राजनीति सामने आ गई है। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इसके विरोध में आ गई हैं। इससे साफ समझा जा सकता है जम्मू-कश्मीर की समस्या वहां के लोगों से ज्यादा राजनीतिज्ञों की देन है। उन्हें इसका कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक हिंदुस्तानी का शव पाकिस्तान के झंडे में लपेटा जा रहा है। हां उन्हें दिक्कत तब हो जाती है, जब ऐसे लोगों पर कार्रवाई शुरू होती है।
Having turned Kashmir into an open air prison, now even the dead aren’t spared.A family isn’t allowed to mourn & bid a final farewell as per their wishes. Booking Geelani sahab’s family under UAPA shows GOI’s deep rooted paranoia & ruthlessness.This is New India’s Naya Kashmir.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 5, 2021
अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के शव को पाकिस्तान के झंडे में लपेटा गया था, जिसका संज्ञान लेते हुए बड़गाम पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के झंडे की जानकारी होने पर पुलिस जैसे ही गिलानी के शव के पास पहुंची, उनके सहयोगियों ने झंडा हटा दिया। वहीं अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही महबूबा मुफ्ती की बौखलाहट सामने आ गई। उन्होंने ट्वीट किया है कि ‘कश्मीर को खुली हवा की जेल बना दिया गया है और मरे हुए लोगों को भी छोड़ा नहीं जा रहा है। एक परिवार को अपनी मर्जी से दुख जताने और अंतिम संस्कार तक जाने नहीं दिया जा रहा है।
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बता दें कि मोदी सरकार से पहले अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी कांग्रेस पार्टी के काफी करीब थे। लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से इन नेताओं का जो पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया वह हैरान करने वाला रहा। भारतीय सैनिकों पर पत्थर बरसवाने के लिए इन नेताओं को पाकिस्तान से बाकायदा फंडिंग की जाती थी। जब से इस की फंडिंग को रोका गया है, जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी देखी जा रही है।
पुलिस जैसे ही गिलानी के शव तक पहुंची, दिवगंत अलगाववादी नेता के सहयोगियों ने झंडा हटा दिया था। प्राथमिकी की आलोचना करते हुए महबूबा ने ट्वीट किया, “कश्मीर को खुली हवा की जेल बना दिया गया है और मरे हुए लोगों को भी छोड़ा नहीं जा रहा। एक परिवार को अपनी मर्जी से दुख जताने और अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया जा रहा। गिलानी साहब के परिवार पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने से पता चलता है कि भारत सरकार भीतर तक निर्मम है। यह नए भारत का नया कश्मीर है।
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