नई दिल्ली। जिदंगी का सबसे खूबसूरत क्षण बचपना होता है। यह वह समय होता है जब आपकी गलतियों पर गुस्सा नहीं प्यार आता है। आपकी हर शरारत पर आपको प्यार किया जाता है। वही बचपन में कुछ बच्चों में मिट्टी खाने की भी आदत होती है। वे सिर्फ मिट्टी ही नहीं, चॉक, पेंट की खुरचन, कुल्हड़ व ईंट के स्वाद को भी पसंद करते हैं। लेकिन एक सच यह भी है मिट्टी या कुल्हड़ खाने की आदत कुछ इंसानों में भी देखी जाती है। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं में यह शौक ज्यादा होता है।
यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि यह सिर्फ एक शौक या आदत ही नहीं है, बल्कि इसे PICA नामक ईटिंग डिसॉर्डर (PICA Eating Disorder) कहते हैं। बता दें कि 1 से 7 साल के बच्चों में मिट्टी, चॉक या उसके जैसी अन्य चीजे खाने की आदत पड़ जाती है। मना करने के बावजूद भी बच्चे अपनी आदत को छोड़ नहीं पाते। बल्कि छोटी सी उम्र में वह चोरी छिपे मिट्टी का सेवन कर ही लेते हैं। ऐसे में बच्चे पर गुस्सा होने, डांटने और समझाने से पहले यह जानना जरूरी हो जाता है कि बच्चों में यह आदत क्यों होती है। कुछ विशेष प्रकार के पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाने पर भी बच्चे मिट्टी, पेंट, चॉक जैसी चीजों को चखने की इच्छा पैदा हो जाती है।
बच्चों में हो सकती है खून की कमी
बाल रोग विशेषज्ञ की मानें तो छोटे बच्चों में मिट्टी खाने की प्रवृत्ति उसमें खून की कमी होने का संकेत हैं। ऐसे में बच्चों को केवल वही खुराक न दें जिसमें केवल दूध मिला हो। केवल दूध मिश्रित चीजों को खिलाने से भी बच्चों में खून की कमी हो सकती है। बचचों की खुराक में अनाज, दाल ओर सब्जियों को भी शामिल करना चाहिए। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में लंबे समय तक मिट्टी खाने की आदत के चलते भी खून की कमी हो जाती है।
मिट्टी का सेवन करने वाले बच्चों में पेट की समस्या बनी रहती है। वैसे हर बात को लेकर काफी संजीदा होते हैं और बचपन में चीजों को समझने के लिए वह अपने मुंह का प्रयोग करते हैं। इसी के चलते जैसे ही कोई चीज बच्चों के संपर्क में आती है, वह उसे तुरंत मुंह में डालने की कोशिश करने लगते हैं।