वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे (Gyanvapi Masjid Survey) का काम सोमवार को अंतिम दिन भी शुरू हो गया है। सर्वे टीम ने तीसरे दिन अपना काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को एडवोकेट कमिश्नर कोर्ट (Commissioner Court) में सर्वे रिपोर्ट पेश कर सकते हैं। वहीं आज सोमवार होने की वजह से काशी-विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक है। श्रद्धालुओं की भेड़ की वजह से पुलिस-प्रशासन सोमवार सुबह से ही अलर्ट मोड में है। वाराणसी की सड़कों और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम काफी सख्त कर गए हैं, जिसके चलते श्रद्धालुओं को भी असुविधा झेलनी पड़ रही है।
गौरतलब है कि श्रृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने के लिए रविवार को करीब 4 घंटे सर्वे चला था। इस दौरान मस्जिद की पश्चिमी दीवार, नमाजस्थल के साथ ही तहखाने को सर्वे टीम ने दोबारा जांचा। वहीं हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया जा रहा है कि सर्वे में काफी सकारात्मक वस्तुएं मिली हैं, जिसे कमीशन रिपोर्ट में शामिल करेगी। यह सर्वे पूरा करने का आज अंतिम दिन है। कोर्ट कमिश्नर कल यानि 17 मई को सिविल जज की अदालत में रिपोर्ट सौंपेंगे।
बताते चलें कि वादी की मांग पर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत ने तीन कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए हैं। वहीं सर्वे की कार्यवाही पर सभी की निगाहें बनी हुई हैं। जानकारी के मुताबिक शनिवार को पहले दिन पश्चिमी दीवार व तहखाने की वीडियो तथा फोटोग्राफी हुई थी। बताया जा रहा है कि तहखाने के चार कमरों में धार्मिक चिह्न मिले थे। इसी तरह रविवार को तय समय सुबह आठ बजे कोर्ट कमिश्नर ने पक्षकारों के साथ सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान मस्जिद का हाल, दीवार, चौहद्दी और दीवारों का माप-जोख हुआ।
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खबरों की मानें तो दक्षिणी ओर स्थित तहखाना, जो नंदी की दिशा में है, एक कमरे में बांस व बल्लियां पड़ी थीं। वहीं पास में एक बड़े गड्ढे में पानी भी भरा था, जिससे वहां जांच कर पाना मुश्किल हो गया। इस स्थान पर कोर्ट कमिश्नर या टीम का कोई सदस्य नहीं पहुंच पाया। जिलाधिकारी ने सफाईकर्मियों के जरिए बांस बल्लियां भी हटवाईं, लेकिन काफी समय लग गया जिस पर कोर्ट कमीशन की कार्यवाही एक दिन और बढ़ाकर सोमवार तक कर दी। सूत्रों की माने तो पानी भरे हिस्से को लेकर कुछ लोगों का कहना था कि यह पूर्व में एक तालाब था। उधर कमीशन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद निकले अफसर, पक्षकार या वादी अधिवक्ता सर्वे के बारे में कुछ भी बोलने से मना करते रहे।
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